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सूरा हूद - Page: 3

Hud

(हूद)

२१

اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ٢١

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
khasirū
خَسِرُوٓا۟
ख़सारे में डाला
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपनी जानों को
waḍalla
وَضَلَّ
और गुम हो गया
ʿanhum
عَنْهُم
उनसे
مَّا
जो कुछ
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
वो गढ़ा करते
ये वही लोग है जिन्होंने अपने आपको घाटे में डाला और जो कुछ वे घड़ा करते थे, वह सब उनमें गुम होकर रह गया ([११] हूद: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

لَاجَرَمَ اَنَّهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ هُمُ الْاَخْسَرُوْنَ ٢٢

لَا
नहीं कोई शक
jarama
جَرَمَ
नहीं कोई शक
annahum
أَنَّهُمْ
बेशक वो
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
humu
هُمُ
वो ही हैं
l-akhsarūna
ٱلْأَخْسَرُونَ
जो सब से ज़्यादा ख़सारा पाने वाले हैं
निश्चय ही वही आख़िरत में सबसे बढ़कर घाटे में रहेंगे ([११] हूद: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاَخْبَتُوْٓا اِلٰى رَبِّهِمْۙ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٢٣

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
wa-akhbatū
وَأَخْبَتُوٓا۟
और उन्होंने आजिज़ी की
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbihim
رَبِّهِمْ
तरफ़ अपने रब के
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-janati
ٱلْجَنَّةِۖ
जन्नत के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अपने रब की ओर झूक पड़े वही जन्नतवाले है, उसमें वे सदैव रहेंगे ([११] हूद: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

۞ مَثَلُ الْفَرِيْقَيْنِ كَالْاَعْمٰى وَالْاَصَمِّ وَالْبَصِيْرِ وَالسَّمِيْعِۗ هَلْ يَسْتَوِيٰنِ مَثَلًا ۗ اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ࣖ ٢٤

mathalu
مَثَلُ
मिसाल
l-farīqayni
ٱلْفَرِيقَيْنِ
दो गिरोहों की
kal-aʿmā
كَٱلْأَعْمَىٰ
मानिन्द अँधे
wal-aṣami
وَٱلْأَصَمِّ
और बहरे के है
wal-baṣīri
وَٱلْبَصِيرِ
और देखने वाले
wal-samīʿi
وَٱلسَّمِيعِۚ
और सुनने वाले के है
hal
هَلْ
क्या
yastawiyāni
يَسْتَوِيَانِ
ये दोनों बराबर हो सकते हैं
mathalan
مَثَلًاۚ
मिसाल में
afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
tadhakkarūna
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ते
दोनों पक्षों की उपमा ऐसी है जैसे एक अन्धा और बहरा हो और एक देखने और सुननेवाला। क्या इन दोनों की दशा समान हो सकती है? तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते? ([११] हूद: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰى قَوْمِهٖٓ اِنِّيْ لَكُمْ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ۙ ٢٥

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
nūḥan
نُوحًا
नूह को
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
qawmihi
قَوْمِهِۦٓ
उसकी क़ौम के
innī
إِنِّى
बेशक मैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला हूँ
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
हमने नूह को उसकी क़ौम की ओर भेजा। (उसने कहा,) 'मैं तुम्हें साफ़-साफ़ चेतावनी देता हूँ ([११] हूद: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

اَنْ لَّا تَعْبُدُوْٓا اِلَّا اللّٰهَ ۖاِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ اَلِيْمٍ ٢٦

an
أَن
कि
لَّا
ना तुम इबादत करो
taʿbudū
تَعْبُدُوٓا۟
ना तुम इबादत करो
illā
إِلَّا
मगर
l-laha
ٱللَّهَۖ
अल्लाह की
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता हूँ
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब से
yawmin
يَوْمٍ
दर्दनाक दिन के
alīmin
أَلِيمٍ
दर्दनाक दिन के
यह कि तुम अल्लाह के सिवा किसी की बन्दगी न करो। मुझे तुम्हारे विषय में एक दुखद दिन की यातना का भय है।' ([११] हूद: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

فَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ مَا نَرٰىكَ اِلَّا بَشَرًا مِّثْلَنَا وَمَا نَرٰىكَ اتَّبَعَكَ اِلَّا الَّذِيْنَ هُمْ اَرَاذِلُنَا بَادِيَ الرَّأْيِۚ وَمَا نَرٰى لَكُمْ عَلَيْنَا مِنْ فَضْلٍۢ بَلْ نَظُنُّكُمْ كٰذِبِيْنَ ٢٧

faqāla
فَقَالَ
तो कहा
l-mala-u
ٱلْمَلَأُ
सरदारों ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया था
min
مِن
उसकी क़ौम में से
qawmihi
قَوْمِهِۦ
उसकी क़ौम में से
مَا
नहीं
narāka
نَرَىٰكَ
हम देखते तुझे
illā
إِلَّا
मगर
basharan
بَشَرًا
एक इन्सान
mith'lanā
مِّثْلَنَا
अपने जैसा
wamā
وَمَا
और नहीं
narāka
نَرَىٰكَ
हम देखते तुझे
ittabaʿaka
ٱتَّبَعَكَ
कि पैरवी की तेरी
illā
إِلَّا
मगर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
hum
هُمْ
वो
arādhilunā
أَرَاذِلُنَا
कमतर हैं हमसे
bādiya
بَادِىَ
बज़ाहिर
l-rayi
ٱلرَّأْىِ
देखने में
wamā
وَمَا
और नहीं
narā
نَرَىٰ
हम देखते
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ʿalaynā
عَلَيْنَا
अपने ऊपर
min
مِن
कोई फ़जीलत
faḍlin
فَضْلٍۭ
कोई फ़जीलत
bal
بَلْ
बल्कि
naẓunnukum
نَظُنُّكُمْ
हम समझते हैं तुम्हें
kādhibīna
كَٰذِبِينَ
झूठे
इसपर उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, कहने लगे, 'हमारी दृष्टि में तो तुम हमारे ही जैसे आदमी हो और हम देखते है कि बस कुछ ऐसे लोग ही तुम्हारे अनुयायी है जो पहली स्पष्ट में हमारे यहाँ के नीच है। हम अपने मुक़ाबले में तुममें कोई बड़ाई नहीं देखते, बल्कि हम तो तुम्हें झूठा समझते है।' ([११] हूद: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

قَالَ يٰقَوْمِ اَرَءَيْتُمْ اِنْ كُنْتُ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّيْ وَاٰتٰىنِيْ رَحْمَةً مِّنْ عِنْدِهٖ فَعُمِّيَتْ عَلَيْكُمْۗ اَنُلْزِمُكُمُوْهَا وَاَنْتُمْ لَهَا كٰرِهُوْنَ ٢٨

qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
ara-aytum
أَرَءَيْتُمْ
क्या देखा तुमने
in
إِن
अगरचे
kuntu
كُنتُ
हूँ मैं
ʿalā
عَلَىٰ
एक वाज़ेह दलील पर
bayyinatin
بَيِّنَةٍ
एक वाज़ेह दलील पर
min
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
rabbī
رَّبِّى
अपने रब की तरफ़ से
waātānī
وَءَاتَىٰنِى
और उसने दी हो मुझे
raḥmatan
رَحْمَةً
रहमत
min
مِّنْ
अपने पास से
ʿindihi
عِندِهِۦ
अपने पास से
faʿummiyat
فَعُمِّيَتْ
फिर वो छुपा दी गई हो
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
anul'zimukumūhā
أَنُلْزِمُكُمُوهَا
क्या हम लाज़िम कर दें उसे
wa-antum
وَأَنتُمْ
जबकि तुम
lahā
لَهَا
उसे
kārihūna
كَٰرِهُونَ
नापसंद करने वाले हो
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम्हारा क्या विचार है? यदि मैं अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अपने पास से दयालुता भी प्रदान की है, फिर वह तुम्हें न सूझे तो क्या हम हठात उसे तुमपर चिपका दें, जबकि वह तुम्हें अप्रिय है? ([११] हूद: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

وَيٰقَوْمِ لَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مَالًاۗ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلَى اللّٰهِ وَمَآ اَنَا۠ بِطَارِدِ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۗ اِنَّهُمْ مُّلٰقُوْا رَبِّهِمْ وَلٰكِنِّيْٓ اَرٰىكُمْ قَوْمًا تَجْهَلُوْنَ ٢٩

wayāqawmi
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
لَآ
नहीं मैं सवाल करता तुमसे
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
नहीं मैं सवाल करता तुमसे
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
mālan
مَالًاۖ
किसी माल का
in
إِنْ
नहीं
ajriya
أَجْرِىَ
अजर मेरा
illā
إِلَّا
मगर
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह पर
wamā
وَمَآ
और नहीं
anā
أَنَا۠
मैं
biṭāridi
بِطَارِدِ
दूर करने वाला
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟ۚ
ईमान लाए
innahum
إِنَّهُم
बेशक वो
mulāqū
مُّلَٰقُوا۟
मुलाक़ात करने वाले हैं
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब से
walākinnī
وَلَٰكِنِّىٓ
और लेकिन मैं
arākum
أَرَىٰكُمْ
देखता हूँ तुम्हें
qawman
قَوْمًا
ऐसे लोग
tajhalūna
تَجْهَلُونَ
कि तुम जहालत बरत रहे हो
और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं इस काम पर कोई धन नहीं माँगता। मेरा पारिश्रमिक तो बस अल्लाह के ज़िम्मे है। मैं ईमान लानेवालो को दूर करनेवाला भी नहीं। उन्हें तो अपने रब से मिलना ही है, किन्तु मैं तुम्हें देख रहा हूँ कि तुम अज्ञानी लोग हो ([११] हूद: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

وَيٰقَوْمِ مَنْ يَّنْصُرُنِيْ مِنَ اللّٰهِ اِنْ طَرَدْتُّهُمْ ۗ اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ٣٠

wayāqawmi
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
man
مَن
कौन
yanṣurunī
يَنصُرُنِى
मदद करेगा मेरी
mina
مِنَ
अल्लाह से (बचाने में)
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से (बचाने में)
in
إِن
अगर
ṭaradttuhum
طَرَدتُّهُمْۚ
दूर कर दिया मैंने उन्हें
afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
tadhakkarūna
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ते
और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यदि मैं उन्हें धुत्कार दूँ तो अल्लाह के मुक़ाबले में कौन मेरी सहायता कर सकता है? फिर क्या तुम होश से काम नहीं लेते? ([११] हूद: 30)
Tafseer (तफ़सीर )