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सूरा हूद - Page: 2

Hud

(हूद)

११

اِلَّا الَّذِيْنَ صَبَرُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِۗ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ كَبِيْرٌ ١١

illā
إِلَّا
सिवाय
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिन्होंने
ṣabarū
صَبَرُوا۟
सब्र किया
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
lahum
لَهُم
उनके लिए है
maghfiratun
مَّغْفِرَةٌ
बख़्शिश
wa-ajrun
وَأَجْرٌ
और अजर
kabīrun
كَبِيرٌ
बहुत बड़ा
उनकी बात दूसरी है जिन्होंने धैर्य से काम लिया और सत्कर्म किए। वही है जिनके लिए क्षमा और बड़ा प्रतिदान है ([११] हूद: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

فَلَعَلَّكَ تَارِكٌۢ بَعْضَ مَا يُوْحٰىٓ اِلَيْكَ وَضَاۤىِٕقٌۢ بِهٖ صَدْرُكَ اَنْ يَّقُوْلُوْا لَوْلَآ اُنْزِلَ عَلَيْهِ كَنْزٌ اَوْ جَاۤءَ مَعَهٗ مَلَكٌ ۗاِنَّمَآ اَنْتَ نَذِيْرٌ ۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ وَّكِيْلٌ ۗ ١٢

falaʿallaka
فَلَعَلَّكَ
तो शायद आप
tārikun
تَارِكٌۢ
छोड़ने वाले हैं
baʿḍa
بَعْضَ
बाज़ हिस्सा
مَا
उसका जो
yūḥā
يُوحَىٰٓ
वही किया गया
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
waḍāiqun
وَضَآئِقٌۢ
और तंग होने वाला है
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
ṣadruka
صَدْرُكَ
सीना आपका
an
أَن
कि
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो कहेंगे
lawlā
لَوْلَآ
क्यों नहीं
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
kanzun
كَنزٌ
कोई ख़ज़ाना
aw
أَوْ
या
jāa
جَآءَ
आया
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
malakun
مَلَكٌۚ
कोई फ़रिश्ता
innamā
إِنَّمَآ
बेशक
anta
أَنتَ
आप तो
nadhīrun
نَذِيرٌۚ
डराने वाले हैं
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
wakīlun
وَكِيلٌ
निगरान है
तो शायद तुम उसमें से कुछ छोड़ बैठोगे, जो तुम्हारी ओर प्रकाशना रूप में भेजी जा रही है। और तुम इस बात पर तंगदिल हो रहे हो कि वे कहते है, 'उसपर कोई ख़ज़ाना क्यों नहीं उतरा या उसके साथ कोई फ़रिश्ता क्यों नहीं आया?' तुम तो केवल सचेत करनेवाले हो। हर चीज़ अल्लाह ही के हवाले है ([११] हूद: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۗقُلْ فَأْتُوْا بِعَشْرِ سُوَرٍ مِّثْلِهٖ مُفْتَرَيٰتٍ وَّادْعُوْا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٣

am
أَمْ
क्या
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
if'tarāhu
ٱفْتَرَىٰهُۖ
उसने गढ़ लिया उसे
qul
قُلْ
कह दीजिए
fatū
فَأْتُوا۟
पस ले आओ
biʿashri
بِعَشْرِ
दस
suwarin
سُوَرٍ
सूरतें
mith'lihi
مِّثْلِهِۦ
मानिन्द इसके
muf'tarayātin
مُفْتَرَيَٰتٍ
गढ़ी हुई
wa-id'ʿū
وَٱدْعُوا۟
और बुला लो
mani
مَنِ
उन्हें जिनकी
is'taṭaʿtum
ٱسْتَطَعْتُم
इस्तिताअत रखते हो तुम
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
(उन्हें कोई शंका है) या वे कहते है कि 'उसने इसे स्वयं घड़ लिया है?' कह दो, 'अच्छा, यदि तुम सच्चे हो तो इस जैसी घड़ी हुई दस सूरतें ले आओ और अल्लाह से हटकर जिस किसी को बुला सकते हो बुला लो।' ([११] हूद: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

فَاِلَّمْ يَسْتَجِيْبُوْا لَكُمْ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّمَآ اُنْزِلَ بِعِلْمِ اللّٰهِ وَاَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۚفَهَلْ اَنْتُمْ مُّسْلِمُوْنَ ١٤

fa-illam
فَإِلَّمْ
फिर अगर ना
yastajībū
يَسْتَجِيبُوا۟
वो जवाब दें
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
fa-iʿ'lamū
فَٱعْلَمُوٓا۟
तो जान लो
annamā
أَنَّمَآ
कि बेशक
unzila
أُنزِلَ
ये नाज़िल किया गया है
biʿil'mi
بِعِلْمِ
अल्लाह के इल्म से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के इल्म से
wa-an
وَأَن
और ये कि
لَّآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۖ
वो ही
fahal
فَهَلْ
तो क्या
antum
أَنتُم
तुम
mus'limūna
مُّسْلِمُونَ
इस्लाम लाने वाले हो
फिर यदि वे तुम्हारी बातें न मानें तो जान लो, यह अल्लाह के ज्ञान ही के साथ अवतरित हुआ है। और यह कि उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। तो अब क्या तुम मुस्लिम (आज्ञाकारी) होते हो? ([११] हूद: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

مَنْ كَانَ يُرِيْدُ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا وَزِيْنَتَهَا نُوَفِّ اِلَيْهِمْ اَعْمَالَهُمْ فِيْهَا وَهُمْ فِيْهَا لَا يُبْخَسُوْنَ ١٥

man
مَن
जो कोई
kāna
كَانَ
है
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
wazīnatahā
وَزِينَتَهَا
और ज़ीनत उसकी
nuwaffi
نُوَفِّ
हम पूरा-पूरा देंगे
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
उनके आमाल (का अजर)
fīhā
فِيهَا
उसमें
wahum
وَهُمْ
और वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
لَا
ना वो कमी किए जाऐंगे
yub'khasūna
يُبْخَسُونَ
ना वो कमी किए जाऐंगे
जो व्यक्ति सांसारिक जीवन और उसकी शोभा का इच्छुक हो तो ऐसे लोगों को उनके कर्मों का पूरा-पूरा बदला हम यहीं दे देते है और इसमें उनका कोई हक़ नहीं मारा जाता ([११] हूद: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ لَيْسَ لَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ اِلَّا النَّارُ ۖوَحَبِطَ مَا صَنَعُوْا فِيْهَا وَبٰطِلٌ مَّا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٦

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
laysa
لَيْسَ
नहीं है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
illā
إِلَّا
मगर
l-nāru
ٱلنَّارُۖ
आग
waḥabiṭa
وَحَبِطَ
और ज़ाया हो गया
مَا
जो
ṣanaʿū
صَنَعُوا۟
उन्होंने किया
fīhā
فِيهَا
उसमें
wabāṭilun
وَبَٰطِلٌ
और बातिल है
مَّا
जो कुछ
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
यही वे लोग है जिनके लिए आख़िरत में आग के सिवा और कुछ भी नहीं। उन्होंने जो कुछ बनाया, वह सब वहाँ उनकी जान को लागू हुआ और उनका सारा किया-धरा मिथ्या होकर रहा ([११] हूद: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَفَمَنْ كَانَ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ وَيَتْلُوْهُ شَاهِدٌ مِّنْهُ وَمِنْ قَبْلِهٖ كِتٰبُ مُوْسٰىٓ اِمَامًا وَّرَحْمَةًۗ اُولٰۤىِٕكَ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۗوَمَنْ يَّكْفُرْ بِهٖ مِنَ الْاَحْزَابِ فَالنَّارُ مَوْعِدُهٗ فَلَا تَكُ فِيْ مِرْيَةٍ مِّنْهُ اِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٧

afaman
أَفَمَن
क्या भला वो शख़्स जो
kāna
كَانَ
हो
ʿalā
عَلَىٰ
एक वाज़ेह दलील पर
bayyinatin
بَيِّنَةٍ
एक वाज़ेह दलील पर
min
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihi
رَّبِّهِۦ
अपने रब की तरफ़ से
wayatlūhu
وَيَتْلُوهُ
और पीछे आता हो उसके
shāhidun
شَاهِدٌ
एक गवाह
min'hu
مِّنْهُ
उसकी तरफ़ से
wamin
وَمِن
और उससे पहले थी
qablihi
قَبْلِهِۦ
और उससे पहले थी
kitābu
كِتَٰبُ
किताब
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा की
imāman
إِمَامًا
इमाम/रहनुमा
waraḥmatan
وَرَحْمَةًۚ
और रहमत
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान रखते हैं
bihi
بِهِۦۚ
उस पर
waman
وَمَن
और जो कोई
yakfur
يَكْفُرْ
कुफ़्र करेगा
bihi
بِهِۦ
उसका
mina
مِنَ
गिरोहों में से
l-aḥzābi
ٱلْأَحْزَابِ
गिरोहों में से
fal-nāru
فَٱلنَّارُ
तो आग
mawʿiduhu
مَوْعِدُهُۥۚ
उसकी वादागाह है
falā
فَلَا
पस ना
taku
تَكُ
हों आप
فِى
किसी शक में
mir'yatin
مِرْيَةٍ
किसी शक में
min'hu
مِّنْهُۚ
उससे
innahu
إِنَّهُ
बेशक वो
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़ है
min
مِن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
फिर क्या वह व्यक्ति जो अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर है और स्वयं उसके रूप में भी एक गवाह उसके साथ-साथ रहता है - और इससे पहले मूसा की किताब भी एक मार्गदर्शक और दयालुता के रूप में उपस्थित रही है- (और वह जो प्रकाश एवं मार्गदर्शन से वंचित है, दोनों बराबर हो सकते है) ऐसे ही लोग उसपर ईमान लाते है, किन्तु इन गिरोहों में से जो उसका इनकार करेगा तो उसके लिए जिस जगह का वादा है, वह तो आग है। अतः तुम्हें इसके विषय में कोई सन्देह न हो। यह तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मानते नहीं ([११] हूद: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًاۗ اُولٰۤىِٕكَ يُعْرَضُوْنَ عَلٰى رَبِّهِمْ وَيَقُوْلُ الْاَشْهَادُ هٰٓؤُلَاۤءِ الَّذِيْنَ كَذَبُوْا عَلٰى رَبِّهِمْۚ اَلَا لَعْنَةُ اللّٰهِ عَلَى الظّٰلِمِيْنَ ۙ ١٨

waman
وَمَنْ
और कौन
aẓlamu
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
mimmani
مِمَّنِ
उससे जो
if'tarā
ٱفْتَرَىٰ
गढ़ ले
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
kadhiban
كَذِبًاۚ
झूठ
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
yuʿ'raḍūna
يُعْرَضُونَ
जो पेश किए जाऐंगे
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रब पर
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब पर
wayaqūlu
وَيَقُولُ
और कहेंगे
l-ashhādu
ٱلْأَشْهَٰدُ
गवाह
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
kadhabū
كَذَبُوا۟
झूठ बोला
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रब पर
rabbihim
رَبِّهِمْۚ
अपने रब पर
alā
أَلَا
ख़बरदार
laʿnatu
لَعْنَةُ
लानत है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
ʿalā
عَلَى
ज़ालिमों पर
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों पर
उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो अल्लाह पर थोपकर झूठ घड़े। ऐसे लोग अपने रब के सामने पेश होंगे और गवाही देनेवाले कहेंगे, 'यही लोग है जिन्होंने अपने रब पर झूठ घड़ा।' सुन लो! ऐसे अत्याचारियों पर अल्लाह की लानत है ([११] हूद: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

الَّذِيْنَ يَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَيَبْغُوْنَهَا عِوَجًاۗ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ كفِٰرُوْنَ ١٩

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yaṣuddūna
يَصُدُّونَ
रोकते हैं
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
wayabghūnahā
وَيَبْغُونَهَا
और तलाश करते हैं उस में
ʿiwajan
عِوَجًا
टेढ़ा पन
wahum
وَهُم
और वो
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत के
hum
هُمْ
वो ही
kāfirūna
كَٰفِرُونَ
इन्कारी हैं
जो अल्लाह के मार्ग से रोकते है और उसमें टेढ़ पैदा करना चाहते है; और वही आख़िरत का इनकार करते है ([११] हूद: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

اُولٰۤىِٕكَ لَمْ يَكُوْنُوْا مُعْجِزِيْنَ فِى الْاَرْضِ وَمَا كَانَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ اَوْلِيَاۤءَ ۘ يُضٰعَفُ لَهُمُ الْعَذَابُ ۗمَا كَانُوْا يَسْتَطِيْعُوْنَ السَّمْعَ وَمَا كَانُوْا يُبْصِرُوْنَ ٢٠

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग
lam
لَمْ
ना
yakūnū
يَكُونُوا۟
वो थे
muʿ'jizīna
مُعْجِزِينَ
आजिज़ करने वाले
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
था
lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
min
مِنْ
कोई मददगार
awliyāa
أَوْلِيَآءَۘ
कोई मददगार
yuḍāʿafu
يُضَٰعَفُ
दोगुना किया जाएगा
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُۚ
अज़ाब
مَا
ना
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
वो इस्तिताअत रखते
l-samʿa
ٱلسَّمْعَ
सुनने की
wamā
وَمَا
और ना ही
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yub'ṣirūna
يُبْصِرُونَ
वो देखते
वे धरती में क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते और न अल्लाह से हटकर उनका कोई समर्थक ही है। उन्हें दोहरी यातना दी जाएगी। वे न सुन ही सकते थे और न देख ही सकते थे ([११] हूद: 20)
Tafseer (तफ़सीर )