१२१
وَقُلْ لِّلَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْۗ اِنَّا عٰمِلُوْنَۙ ١٢١
- waqul
- وَقُل
- और कह दीजिए
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उन लेगों को जो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
- iʿ'malū
- ٱعْمَلُوا۟
- अमल करो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी जगह पर
- makānatikum
- مَكَانَتِكُمْ
- अपनी जगह पर
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम (भी)
- ʿāmilūna
- عَٰمِلُونَ
- अमल करने वाले हैं
जो लोग ईमान नहीं ला रहे हैं उनसे कह दो, 'तुम अपनी जगह कर्म किए जाओ, हम भी कर्म कर रहे है ([११] हूद: 121)Tafseer (तफ़सीर )
१२२
وَانْتَظِرُوْاۚ اِنَّا مُنْتَظِرُوْنَ ١٢٢
- wa-intaẓirū
- وَٱنتَظِرُوٓا۟
- और इन्तिज़ार करो
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम (भी)
- muntaẓirūna
- مُنتَظِرُونَ
- इन्तिज़ार करने वाले हैं
तुम भी प्रतीक्षा करो, हम भी प्रतीक्षा कर रहे है।' ([११] हूद: 122)Tafseer (तफ़सीर )
१२३
وَلِلّٰهِ غَيْبُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَاِلَيْهِ يُرْجَعُ الْاَمْرُ كُلُّهٗ فَاعْبُدْهُ وَتَوَكَّلْ عَلَيْهِۗ وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ࣖ ١٢٣
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- ghaybu
- غَيْبُ
- ग़ैब
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों का
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसी के
- yur'jaʿu
- يُرْجَعُ
- लौटाया जाता है
- l-amru
- ٱلْأَمْرُ
- मामला
- kulluhu
- كُلُّهُۥ
- सारे का सारा
- fa-uʿ'bud'hu
- فَٱعْبُدْهُ
- पस इबादत कीजिए उसकी
- watawakkal
- وَتَوَكَّلْ
- और तवक्कल कीजिए
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۚ
- उस पर
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- bighāfilin
- بِغَٰفِلٍ
- ग़ाफ़िल
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों और धरती में छिपा है, और हर मामला उसी की ओर पलटता है। अतः उसी की बन्दगी करो और उसी पर भरोसा रखो। जो कुछ तुम करते हो, उससे तुम्हारा रब बेख़बर नहीं है ([११] हूद: 123)Tafseer (तफ़सीर )