وَاِنَّ كُلًّا لَّمَّا لَيُوَفِّيَنَّهُمْ رَبُّكَ اَعْمَالَهُمْ ۗاِنَّهٗ بِمَا يَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ١١١
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- kullan
- كُلًّا
- हर एक को
- lammā
- لَّمَّا
- जब (वक़्त आएगा)
- layuwaffiyannahum
- لَيُوَفِّيَنَّهُمْ
- अलबत्ता ज़रूर पूरा-पूरा देगा उन्हें
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- aʿmālahum
- أَعْمَٰلَهُمْۚ
- उनके आमाल (का बदला)
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- bimā
- بِمَا
- उससे जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते हैं
- khabīrun
- خَبِيرٌ
- ख़ूब बाख़बर है
निश्चय ही समय आने पर एक-एक को, जितने भी है उनको तुम्हारा रब उनका किया पूरा-पूरा देकर रहेगा। वे जो कुछ कर रहे हैं, निस्संदेह उसे उसकी पूरी ख़बर है ([११] हूद: 111)Tafseer (तफ़सीर )
فَاسْتَقِمْ كَمَآ اُمِرْتَ وَمَنْ تَابَ مَعَكَ وَلَا تَطْغَوْاۗ اِنَّهٗ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ١١٢
- fa-is'taqim
- فَٱسْتَقِمْ
- पस क़ायम रहिए
- kamā
- كَمَآ
- जैसा कि
- umir'ta
- أُمِرْتَ
- हुक्म दिए गए आप
- waman
- وَمَن
- और वो (भी) जो
- tāba
- تَابَ
- तौबा करे
- maʿaka
- مَعَكَ
- आपके साथ
- walā
- وَلَا
- और ना
- taṭghaw
- تَطْغَوْا۟ۚ
- तुम सरकशी करो
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
अतः जैसा तुम्हें आदेश हुआ है, जमें रहो और तुम्हारे साथ के तौबा करनेवाले भी जमें रहें, और सीमोल्लंघन न करना। जो कुछ भी तुम करते हो, निश्चय ही वह उसे देख रहा है ([११] हूद: 112)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَرْكَنُوْٓا اِلَى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا فَتَمَسَّكُمُ النَّارُۙ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ اَوْلِيَاۤءَ ثُمَّ لَا تُنْصَرُوْنَ ١١٣
- walā
- وَلَا
- और ना
- tarkanū
- تَرْكَنُوٓا۟
- तुम झुको/माइल हो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ उनके जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- तरफ़ उनके जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- fatamassakumu
- فَتَمَسَّكُمُ
- वरना छू लेगी तुम्हें
- l-nāru
- ٱلنَّارُ
- आग
- wamā
- وَمَا
- और नहीं (होगा)
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- min
- مِنْ
- कोई दोस्त
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- कोई दोस्त
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना तुम मदद दिए जाओगे
- tunṣarūna
- تُنصَرُونَ
- ना तुम मदद दिए जाओगे
उन लोगों की ओर तनिक भी न झुकना, जिन्होंने अत्याचार की नीति अपनाई हैं, अन्यथा आग तुम्हें आ लिपटेगी - और अल्लाह से हटकर तुम्हारा कोई संरक्षक मित्र नहीं - फिर तुम्हें कोई सहायता भी न मिलेगी ([११] हूद: 113)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَقِمِ الصَّلٰوةَ طَرَفَيِ النَّهَارِ وَزُلَفًا مِّنَ الَّيْلِ ۗاِنَّ الْحَسَنٰتِ يُذْهِبْنَ السَّيِّاٰتِۗ ذٰلِكَ ذِكْرٰى لِلذَّاكِرِيْنَ ١١٤
- wa-aqimi
- وَأَقِمِ
- और क़ायम कीजिए
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- ṭarafayi
- طَرَفَىِ
- दोनों किनारों पर
- l-nahāri
- ٱلنَّهَارِ
- दिन के
- wazulafan
- وَزُلَفًا
- और कुछ हिस्सा
- mina
- مِّنَ
- रात में से
- al-layli
- ٱلَّيْلِۚ
- रात में से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-ḥasanāti
- ٱلْحَسَنَٰتِ
- नेकियाँ
- yudh'hib'na
- يُذْهِبْنَ
- ले जाती हैं
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ
- बुराइयों को
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- dhik'rā
- ذِكْرَىٰ
- याद दिहानी है
- lildhākirīna
- لِلذَّٰكِرِينَ
- याद रखने वालों के लिए
और नमाज़ क़ायम करो दिन के दोनों सिरों पर और रात के कुछ हिस्से में। निस्संदेह नेकियाँ बुराइयों को दूर कर देती है। यह याद रखनेवालों के लिए एक अनुस्मरण है ([११] हूद: 114)Tafseer (तफ़सीर )
وَاصْبِرْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا يُضِيْعُ اَجْرَ الْمُحْسِنِيْنَ ١١٥
- wa-iṣ'bir
- وَٱصْبِرْ
- और सब्र कीजिए
- fa-inna
- فَإِنَّ
- पस बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो ज़ाया करता
- yuḍīʿu
- يُضِيعُ
- नहीं वो ज़ाया करता
- ajra
- أَجْرَ
- अजर
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों का
और धैर्य से काम लो, इसलिए कि अल्लाह सुकर्मियों को बदला अकारथ नहीं करता; ([११] हूद: 115)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَوْلَا كَانَ مِنَ الْقُرُوْنِ مِنْ قَبْلِكُمْ اُولُوْا بَقِيَّةٍ يَّنْهَوْنَ عَنِ الْفَسَادِ فِى الْاَرْضِ اِلَّا قَلِيْلًا مِّمَّنْ اَنْجَيْنَا مِنْهُمْ ۚوَاتَّبَعَ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مَآ اُتْرِفُوْا فِيْهِ وَكَانُوْا مُجْرِمِيْنَ ١١٦
- falawlā
- فَلَوْلَا
- फिर क्यों ना
- kāna
- كَانَ
- हुए
- mina
- مِنَ
- उन उम्मतों में से
- l-qurūni
- ٱلْقُرُونِ
- उन उम्मतों में से
- min
- مِن
- जो तुमसे पहले थीं
- qablikum
- قَبْلِكُمْ
- जो तुमसे पहले थीं
- ulū
- أُو۟لُوا۟
- अन्जाम पर नज़र रखने वाले
- baqiyyatin
- بَقِيَّةٍ
- अन्जाम पर नज़र रखने वाले
- yanhawna
- يَنْهَوْنَ
- जो रोकते
- ʿani
- عَنِ
- फ़साद से
- l-fasādi
- ٱلْفَسَادِ
- फ़साद से
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़े
- mimman
- مِّمَّنْ
- उनमें से
- anjaynā
- أَنجَيْنَا
- निजात दी हमने
- min'hum
- مِنْهُمْۗ
- उनमें से
- wa-ittabaʿa
- وَٱتَّبَعَ
- और पीछे लगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- mā
- مَآ
- उसके जो
- ut'rifū
- أُتْرِفُوا۟
- वो ऐश व आराम दिए गए थे
- fīhi
- فِيهِ
- जिस में
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- muj'rimīna
- مُجْرِمِينَ
- मुजरिम
फिर तुमसे पहले जो नस्लें गुज़र चुकी है उनमें ऐसे भले-समझदार क्यों न हुए जो धरती में बिगाड़ से रोकते, उन थोड़े-से लोगों के सिवा जिनको उनमें से हमने बचा लिया। अत्याचारी लोग तो उसी सुख-सामग्री के पीछे पड़े रहे, जिसमें वे रखे गए थे। वे तो थे ही अपराधी ([११] हूद: 116)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كَانَ رَبُّكَ لِيُهْلِكَ الْقُرٰى بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا مُصْلِحُوْنَ ١١٧
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- liyuh'lika
- لِيُهْلِكَ
- कि वो हलाक कर दे
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- बस्तियों को
- biẓul'min
- بِظُلْمٍ
- ज़ुल्म से
- wa-ahluhā
- وَأَهْلُهَا
- जबकि बाशिन्दे उसके
- muṣ'liḥūna
- مُصْلِحُونَ
- इस्लाह करने वाले हों
तुम्हारा रब तो ऐसा नहीं है कि बस्तियों को अकारण विनष्ट कर दे, जबकि वहाँ के निवासी बनाव और सुधार में लगे हों ([११] हूद: 117)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ شَاۤءَ رَبُّكَ لَجَعَلَ النَّاسَ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلَا يَزَالُوْنَ مُخْتَلِفِيْنَۙ ١١٨
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- lajaʿala
- لَجَعَلَ
- अलबत्ता वो बना देता
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- ummatan
- أُمَّةً
- उम्मत
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةًۖ
- एक ही
- walā
- وَلَا
- जबकि वो हमेशा रहेंगे
- yazālūna
- يَزَالُونَ
- जबकि वो हमेशा रहेंगे
- mukh'talifīna
- مُخْتَلِفِينَ
- इख़्तिलाफ़ करने वाले
और यदि तुम्हारा रब चाहता तो वह सारे मनुष्यों को एक समुदाय बना देता, किन्तु अब तो वे सदैव विभेद करते ही रहेंगे, ([११] हूद: 118)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا مَنْ رَّحِمَ رَبُّكَ ۗوَلِذٰلِكَ خَلَقَهُمْ ۗوَتَمَّتْ كَلِمَةُ رَبِّكَ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِيْنَ ١١٩
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- जिस पर
- raḥima
- رَّحِمَ
- रहम करे
- rabbuka
- رَبُّكَۚ
- रब आपका
- walidhālika
- وَلِذَٰلِكَ
- और इसी लिए
- khalaqahum
- خَلَقَهُمْۗ
- उसने पैदा किया उन्हें
- watammat
- وَتَمَّتْ
- और पूरी हो गई
- kalimatu
- كَلِمَةُ
- बात
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब की
- la-amla-anna
- لَأَمْلَأَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर भर दूँगा
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम को
- mina
- مِنَ
- जिन्नों से
- l-jinati
- ٱلْجِنَّةِ
- जिन्नों से
- wal-nāsi
- وَٱلنَّاسِ
- और इन्सानों से
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सबके सब
सिवाय उनके जिनपर तुम्हारा रब दया करे और इसी के लिए उसने उन्हें पैदा किया है, और तुम्हारे रब की यह बात पूरी होकर रही कि 'मैं जहन्नम को अपराधी जिन्नों और मनुष्यों सबसे भरकर रहूँगा।' ([११] हूद: 119)Tafseer (तफ़सीर )
وَكُلًّا نَّقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ اَنْۢبَاۤءِ الرُّسُلِ مَا نُثَبِّتُ بِهٖ فُؤَادَكَ وَجَاۤءَكَ فِيْ هٰذِهِ الْحَقُّ وَمَوْعِظَةٌ وَّذِكْرٰى لِلْمُؤْمِنِيْنَ ١٢٠
- wakullan
- وَكُلًّا
- और सब कुछ
- naquṣṣu
- نَّقُصُّ
- हम बयान करते हैं
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- min
- مِنْ
- बाज़ ख़बरें
- anbāi
- أَنۢبَآءِ
- बाज़ ख़बरें
- l-rusuli
- ٱلرُّسُلِ
- रसूलों की
- mā
- مَا
- वो जो
- nuthabbitu
- نُثَبِّتُ
- हम मज़बूत करते हैं
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- fuādaka
- فُؤَادَكَۚ
- आपके दिल को
- wajāaka
- وَجَآءَكَ
- और आ गया आपके पास
- fī
- فِى
- उसमें
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- उसमें
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़
- wamawʿiẓatun
- وَمَوْعِظَةٌ
- और नसीहत
- wadhik'rā
- وَذِكْرَىٰ
- और याद दिहानी
- lil'mu'minīna
- لِلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों के लिए
रसूलों के वृत्तान्तों में से हर वह कथा जो हम तुम्हें सुनाते है उसके द्वारा हम तुम्हारे हृदय को सुदृढ़ करते हैं। और इसमें तुम्हारे पास सत्य आ गया है और मोमिनों के लिए उपदेश और अनुस्मरण भी ([११] हूद: 120)Tafseer (तफ़सीर )