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सूरा हूद - Page: 12

Hud

(हूद)

१११

وَاِنَّ كُلًّا لَّمَّا لَيُوَفِّيَنَّهُمْ رَبُّكَ اَعْمَالَهُمْ ۗاِنَّهٗ بِمَا يَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ١١١

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
kullan
كُلًّا
हर एक को
lammā
لَّمَّا
जब (वक़्त आएगा)
layuwaffiyannahum
لَيُوَفِّيَنَّهُمْ
अलबत्ता ज़रूर पूरा-पूरा देगा उन्हें
rabbuka
رَبُّكَ
रब आपका
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْۚ
उनके आमाल (का बदला)
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
bimā
بِمَا
उससे जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
khabīrun
خَبِيرٌ
ख़ूब बाख़बर है
निश्चय ही समय आने पर एक-एक को, जितने भी है उनको तुम्हारा रब उनका किया पूरा-पूरा देकर रहेगा। वे जो कुछ कर रहे हैं, निस्संदेह उसे उसकी पूरी ख़बर है ([११] हूद: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

فَاسْتَقِمْ كَمَآ اُمِرْتَ وَمَنْ تَابَ مَعَكَ وَلَا تَطْغَوْاۗ اِنَّهٗ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ١١٢

fa-is'taqim
فَٱسْتَقِمْ
पस क़ायम रहिए
kamā
كَمَآ
जैसा कि
umir'ta
أُمِرْتَ
हुक्म दिए गए आप
waman
وَمَن
और वो (भी) जो
tāba
تَابَ
तौबा करे
maʿaka
مَعَكَ
आपके साथ
walā
وَلَا
और ना
taṭghaw
تَطْغَوْا۟ۚ
तुम सरकशी करो
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
अतः जैसा तुम्हें आदेश हुआ है, जमें रहो और तुम्हारे साथ के तौबा करनेवाले भी जमें रहें, और सीमोल्लंघन न करना। जो कुछ भी तुम करते हो, निश्चय ही वह उसे देख रहा है ([११] हूद: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

وَلَا تَرْكَنُوْٓا اِلَى الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا فَتَمَسَّكُمُ النَّارُۙ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ اَوْلِيَاۤءَ ثُمَّ لَا تُنْصَرُوْنَ ١١٣

walā
وَلَا
और ना
tarkanū
تَرْكَنُوٓا۟
तुम झुको/माइल हो
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
fatamassakumu
فَتَمَسَّكُمُ
वरना छू लेगी तुम्हें
l-nāru
ٱلنَّارُ
आग
wamā
وَمَا
और नहीं (होगा)
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
min
مِنْ
कोई दोस्त
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
कोई दोस्त
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना तुम मदद दिए जाओगे
tunṣarūna
تُنصَرُونَ
ना तुम मदद दिए जाओगे
उन लोगों की ओर तनिक भी न झुकना, जिन्होंने अत्याचार की नीति अपनाई हैं, अन्यथा आग तुम्हें आ लिपटेगी - और अल्लाह से हटकर तुम्हारा कोई संरक्षक मित्र नहीं - फिर तुम्हें कोई सहायता भी न मिलेगी ([११] हूद: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

وَاَقِمِ الصَّلٰوةَ طَرَفَيِ النَّهَارِ وَزُلَفًا مِّنَ الَّيْلِ ۗاِنَّ الْحَسَنٰتِ يُذْهِبْنَ السَّيِّاٰتِۗ ذٰلِكَ ذِكْرٰى لِلذَّاكِرِيْنَ ١١٤

wa-aqimi
وَأَقِمِ
और क़ायम कीजिए
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
ṭarafayi
طَرَفَىِ
दोनों किनारों पर
l-nahāri
ٱلنَّهَارِ
दिन के
wazulafan
وَزُلَفًا
और कुछ हिस्सा
mina
مِّنَ
रात में से
al-layli
ٱلَّيْلِۚ
रात में से
inna
إِنَّ
बेशक
l-ḥasanāti
ٱلْحَسَنَٰتِ
नेकियाँ
yudh'hib'na
يُذْهِبْنَ
ले जाती हैं
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ
बुराइयों को
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
dhik'rā
ذِكْرَىٰ
याद दिहानी है
lildhākirīna
لِلذَّٰكِرِينَ
याद रखने वालों के लिए
और नमाज़ क़ायम करो दिन के दोनों सिरों पर और रात के कुछ हिस्से में। निस्संदेह नेकियाँ बुराइयों को दूर कर देती है। यह याद रखनेवालों के लिए एक अनुस्मरण है ([११] हूद: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَاصْبِرْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا يُضِيْعُ اَجْرَ الْمُحْسِنِيْنَ ١١٥

wa-iṣ'bir
وَٱصْبِرْ
और सब्र कीजिए
fa-inna
فَإِنَّ
पस बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो ज़ाया करता
yuḍīʿu
يُضِيعُ
नहीं वो ज़ाया करता
ajra
أَجْرَ
अजर
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों का
और धैर्य से काम लो, इसलिए कि अल्लाह सुकर्मियों को बदला अकारथ नहीं करता; ([११] हूद: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

فَلَوْلَا كَانَ مِنَ الْقُرُوْنِ مِنْ قَبْلِكُمْ اُولُوْا بَقِيَّةٍ يَّنْهَوْنَ عَنِ الْفَسَادِ فِى الْاَرْضِ اِلَّا قَلِيْلًا مِّمَّنْ اَنْجَيْنَا مِنْهُمْ ۚوَاتَّبَعَ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مَآ اُتْرِفُوْا فِيْهِ وَكَانُوْا مُجْرِمِيْنَ ١١٦

falawlā
فَلَوْلَا
फिर क्यों ना
kāna
كَانَ
हुए
mina
مِنَ
उन उम्मतों में से
l-qurūni
ٱلْقُرُونِ
उन उम्मतों में से
min
مِن
जो तुमसे पहले थीं
qablikum
قَبْلِكُمْ
जो तुमसे पहले थीं
ulū
أُو۟لُوا۟
अन्जाम पर नज़र रखने वाले
baqiyyatin
بَقِيَّةٍ
अन्जाम पर नज़र रखने वाले
yanhawna
يَنْهَوْنَ
जो रोकते
ʿani
عَنِ
फ़साद से
l-fasādi
ٱلْفَسَادِ
फ़साद से
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़े
mimman
مِّمَّنْ
उनमें से
anjaynā
أَنجَيْنَا
निजात दी हमने
min'hum
مِنْهُمْۗ
उनमें से
wa-ittabaʿa
وَٱتَّبَعَ
और पीछे लगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
مَآ
उसके जो
ut'rifū
أُتْرِفُوا۟
वो ऐश व आराम दिए गए थे
fīhi
فِيهِ
जिस में
wakānū
وَكَانُوا۟
और थे वो
muj'rimīna
مُجْرِمِينَ
मुजरिम
फिर तुमसे पहले जो नस्लें गुज़र चुकी है उनमें ऐसे भले-समझदार क्यों न हुए जो धरती में बिगाड़ से रोकते, उन थोड़े-से लोगों के सिवा जिनको उनमें से हमने बचा लिया। अत्याचारी लोग तो उसी सुख-सामग्री के पीछे पड़े रहे, जिसमें वे रखे गए थे। वे तो थे ही अपराधी ([११] हूद: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

وَمَا كَانَ رَبُّكَ لِيُهْلِكَ الْقُرٰى بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا مُصْلِحُوْنَ ١١٧

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
rabbuka
رَبُّكَ
रब आपका
liyuh'lika
لِيُهْلِكَ
कि वो हलाक कर दे
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
बस्तियों को
biẓul'min
بِظُلْمٍ
ज़ुल्म से
wa-ahluhā
وَأَهْلُهَا
जबकि बाशिन्दे उसके
muṣ'liḥūna
مُصْلِحُونَ
इस्लाह करने वाले हों
तुम्हारा रब तो ऐसा नहीं है कि बस्तियों को अकारण विनष्ट कर दे, जबकि वहाँ के निवासी बनाव और सुधार में लगे हों ([११] हूद: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

وَلَوْ شَاۤءَ رَبُّكَ لَجَعَلَ النَّاسَ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلَا يَزَالُوْنَ مُخْتَلِفِيْنَۙ ١١٨

walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
rabbuka
رَبُّكَ
रब आपका
lajaʿala
لَجَعَلَ
अलबत्ता वो बना देता
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
ummatan
أُمَّةً
उम्मत
wāḥidatan
وَٰحِدَةًۖ
एक ही
walā
وَلَا
जबकि वो हमेशा रहेंगे
yazālūna
يَزَالُونَ
जबकि वो हमेशा रहेंगे
mukh'talifīna
مُخْتَلِفِينَ
इख़्तिलाफ़ करने वाले
और यदि तुम्हारा रब चाहता तो वह सारे मनुष्यों को एक समुदाय बना देता, किन्तु अब तो वे सदैव विभेद करते ही रहेंगे, ([११] हूद: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

اِلَّا مَنْ رَّحِمَ رَبُّكَ ۗوَلِذٰلِكَ خَلَقَهُمْ ۗوَتَمَّتْ كَلِمَةُ رَبِّكَ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِيْنَ ١١٩

illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
जिस पर
raḥima
رَّحِمَ
रहम करे
rabbuka
رَبُّكَۚ
रब आपका
walidhālika
وَلِذَٰلِكَ
और इसी लिए
khalaqahum
خَلَقَهُمْۗ
उसने पैदा किया उन्हें
watammat
وَتَمَّتْ
और पूरी हो गई
kalimatu
كَلِمَةُ
बात
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब की
la-amla-anna
لَأَمْلَأَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर भर दूँगा
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम को
mina
مِنَ
जिन्नों से
l-jinati
ٱلْجِنَّةِ
जिन्नों से
wal-nāsi
وَٱلنَّاسِ
और इन्सानों से
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सबके सब
सिवाय उनके जिनपर तुम्हारा रब दया करे और इसी के लिए उसने उन्हें पैदा किया है, और तुम्हारे रब की यह बात पूरी होकर रही कि 'मैं जहन्नम को अपराधी जिन्नों और मनुष्यों सबसे भरकर रहूँगा।' ([११] हूद: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

وَكُلًّا نَّقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ اَنْۢبَاۤءِ الرُّسُلِ مَا نُثَبِّتُ بِهٖ فُؤَادَكَ وَجَاۤءَكَ فِيْ هٰذِهِ الْحَقُّ وَمَوْعِظَةٌ وَّذِكْرٰى لِلْمُؤْمِنِيْنَ ١٢٠

wakullan
وَكُلًّا
और सब कुछ
naquṣṣu
نَّقُصُّ
हम बयान करते हैं
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
min
مِنْ
बाज़ ख़बरें
anbāi
أَنۢبَآءِ
बाज़ ख़बरें
l-rusuli
ٱلرُّسُلِ
रसूलों की
مَا
वो जो
nuthabbitu
نُثَبِّتُ
हम मज़बूत करते हैं
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
fuādaka
فُؤَادَكَۚ
आपके दिल को
wajāaka
وَجَآءَكَ
और आ गया आपके पास
فِى
उसमें
hādhihi
هَٰذِهِ
उसमें
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़
wamawʿiẓatun
وَمَوْعِظَةٌ
और नसीहत
wadhik'rā
وَذِكْرَىٰ
और याद दिहानी
lil'mu'minīna
لِلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों के लिए
रसूलों के वृत्तान्तों में से हर वह कथा जो हम तुम्हें सुनाते है उसके द्वारा हम तुम्हारे हृदय को सुदृढ़ करते हैं। और इसमें तुम्हारे पास सत्य आ गया है और मोमिनों के लिए उपदेश और अनुस्मरण भी ([११] हूद: 120)
Tafseer (तफ़सीर )