قَالُوْا يٰشُعَيْبُ مَا نَفْقَهُ كَثِيْرًا مِّمَّا تَقُوْلُ وَاِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْنَا ضَعِيْفًا ۗوَلَوْلَا رَهْطُكَ لَرَجَمْنٰكَ ۖوَمَآ اَنْتَ عَلَيْنَا بِعَزِيْزٍ ٩١
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- yāshuʿaybu
- يَٰشُعَيْبُ
- ऐ शुऐब
- mā
- مَا
- नहीं
- nafqahu
- نَفْقَهُ
- हम समझ पाते
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत सा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- taqūlu
- تَقُولُ
- तुम कहते को
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lanarāka
- لَنَرَىٰكَ
- अलबत्ता हम देखते हैं तुझे
- fīnā
- فِينَا
- अपने में
- ḍaʿīfan
- ضَعِيفًاۖ
- बहुत कमज़ोर
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होता
- rahṭuka
- رَهْطُكَ
- क़बीला तेरा
- larajamnāka
- لَرَجَمْنَٰكَۖ
- अलबत्ता संगसार कर देते हम तुझे
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anta
- أَنتَ
- तू
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- biʿazīzin
- بِعَزِيزٍ
- कुछ ग़ालिब
उन्होंने कहा, 'ऐ शुऐब! तेरी बहुत-सी बातों को समझने में तो हम असमर्थ है। और हम तो तुझे देखते है कि तू हमारे मध्य अत्यन्त निर्बल है। यदि तेरे भाई-बन्धु न होते तो हम पत्थर मार-मारकर कभी का तुझे समाप्त कर चुके होते। तू इतने बल-बूतेवाला तो नहीं कि हमपर भारी हो।' ([११] हूद: 91)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ يٰقَوْمِ اَرَهْطِيْٓ اَعَزُّ عَلَيْكُمْ مِّنَ اللّٰهِ ۗوَاتَّخَذْتُمُوْهُ وَرَاۤءَكُمْ ظِهْرِيًّا ۗاِنَّ رَبِّيْ بِمَا تَعْمَلُوْنَ مُحِيْطٌ ٩٢
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- arahṭī
- أَرَهْطِىٓ
- क्या क़बीला मेरा
- aʿazzu
- أَعَزُّ
- ज़्यादा ज़ोर वाला है
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- wa-ittakhadhtumūhu
- وَٱتَّخَذْتُمُوهُ
- और बना लिया तुमने उसे
- warāakum
- وَرَآءَكُمْ
- पीछे अपनी
- ẓih'riyyan
- ظِهْرِيًّاۖ
- पुश्त के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbī
- رَبِّى
- मेरा रब
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- muḥīṭun
- مُحِيطٌ
- घेरे हुए है
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! क्या मेरे भाई-बन्धु तुमपर अल्लाह से भी ज़्यादा भारी है कि तुमने उसे अपने पीछे डाल दिया? तुम जो कुछ भी करते हो निश्चय ही मेरे रब ने उसे अपने घेरे में ले रखा है ([११] हूद: 92)Tafseer (तफ़सीर )
وَيٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْ اِنِّيْ عَامِلٌ ۗسَوْفَ تَعْلَمُوْنَۙ مَنْ يَّأْتِيْهِ عَذَابٌ يُّخْزِيْهِ وَمَنْ هُوَ كَاذِبٌۗ وَارْتَقِبُوْٓا اِنِّيْ مَعَكُمْ رَقِيْبٌ ٩٣
- wayāqawmi
- وَيَٰقَوْمِ
- और ऐ मेरी क़ौम
- iʿ'malū
- ٱعْمَلُوا۟
- अमल करो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी जगह पर
- makānatikum
- مَكَانَتِكُمْ
- अपनी जगह पर
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- ʿāmilun
- عَٰمِلٌۖ
- अमल करने वाला हूँ
- sawfa
- سَوْفَ
- अनक़रीब
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जान लोगे
- man
- مَن
- कौन है कि
- yatīhi
- يَأْتِيهِ
- आता है उस पर
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- yukh'zīhi
- يُخْزِيهِ
- जो रुस्वा कर देगा उसे
- waman
- وَمَنْ
- और कौन है
- huwa
- هُوَ
- वो जो
- kādhibun
- كَٰذِبٌۖ
- झूठा है
- wa-ir'taqibū
- وَٱرْتَقِبُوٓا۟
- और इन्तिज़ार करो
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- साथ तुम्हारे
- raqībun
- رَقِيبٌ
- इन्तिज़ार करने वाला हूँ
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह कर्म करते रहो, मैं भी कर रहा हूँ। शीघ्र ही तुमको ज्ञात हो जाएगा कि किसपर वह यातना आती है, जो उसे अपमानित करके रहेगी, और कौन है जो झूठा है! प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा कर रहा हूँ।' ([११] हूद: 93)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا جَاۤءَ اَمْرُنَا نَجَّيْنَا شُعَيْبًا وَّالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّاۚ وَاَخَذَتِ الَّذِيْنَ ظَلَمُوا الصَّيْحَةُ فَاَصْبَحُوْا فِيْ دِيَارِهِمْ جٰثِمِيْنَۙ ٩٤
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- jāa
- جَآءَ
- आ गया
- amrunā
- أَمْرُنَا
- फ़ैसला हमारा
- najjaynā
- نَجَّيْنَا
- निजात दी हमने
- shuʿayban
- شُعَيْبًا
- शुऐब को
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ उसके
- biraḥmatin
- بِرَحْمَةٍ
- साथ रहमत के
- minnā
- مِّنَّا
- अपनी तरफ़ से
- wa-akhadhati
- وَأَخَذَتِ
- और पकड़ लिया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया था
- l-ṣayḥatu
- ٱلصَّيْحَةُ
- चिंघाड़ ने
- fa-aṣbaḥū
- فَأَصْبَحُوا۟
- तो उन्होने सुबह की
- fī
- فِى
- अपने घरों में
- diyārihim
- دِيَٰرِهِمْ
- अपने घरों में
- jāthimīna
- جَٰثِمِينَ
- औंधे मुँह पड़े हुए
अन्ततः जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने अपनी दयालुता से शुऐब और उसके साथ के ईमान लानेवालों को बचा लिया। और अत्याचार करनेवालों को एक प्रचंड चिंघार ने आ लिया और वे अपने घरों में औंधे पड़े रह गए, ([११] हूद: 94)Tafseer (तफ़सीर )
كَاَنْ لَّمْ يَغْنَوْا فِيْهَا ۗ اَلَا بُعْدًا لِّمَدْيَنَ كَمَا بَعِدَتْ ثَمُوْدُ ࣖ ٩٥
- ka-an
- كَأَن
- गोया कि
- lam
- لَّمْ
- ना
- yaghnaw
- يَغْنَوْا۟
- वो बसे थे
- fīhā
- فِيهَآۗ
- उनमें
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- buʿ'dan
- بُعْدًا
- दूरी है
- limadyana
- لِّمَدْيَنَ
- मदयन के लिए
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- baʿidat
- بَعِدَتْ
- दूर हुए
- thamūdu
- ثَمُودُ
- समूद
मानो वे वहाँ कभी बसे ही न थे। 'सुन लो! फिटकार है मदयनवालों पर, जैसे समूद पर फिटकार हुई!' ([११] हूद: 95)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰى بِاٰيٰتِنَا وَسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍۙ ٩٦
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा को
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- साथ अपनी आयात के
- wasul'ṭānin
- وَسُلْطَٰنٍ
- और दलील
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह के
और हमने मूसा को अपनी निशानियाँ और स्पष्ट प्रमाण के साथ ([११] हूद: 96)Tafseer (तफ़सीर )
اِلٰى فِرْعَوْنَ وَملَا۟ىِٕهٖ فَاتَّبَعُوْٓا اَمْرَ فِرْعَوْنَ ۚوَمَآ اَمْرُ فِرْعَوْنَ بِرَشِيْدٍ ٩٧
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ फ़िरऔन
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- तरफ़ फ़िरऔन
- wamala-ihi
- وَمَلَإِي۟هِۦ
- और उसके सरदारों के
- fa-ittabaʿū
- فَٱتَّبَعُوٓا۟
- तो उन्होने पैरवी की
- amra
- أَمْرَ
- हुक्म की
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَۖ
- फ़िरऔन के
- wamā
- وَمَآ
- और ना (था)
- amru
- أَمْرُ
- हुक्म
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन का
- birashīdin
- بِرَشِيدٍ
- भलाई वाला
फ़िरऔन और उसके सरदारों के पास भेजा, किन्तु वे फ़िरऔन ही के कहने पर चले, हालाँकि फ़िरऔन की बात कोई ठीक बात न थी। ([११] हूद: 97)Tafseer (तफ़सीर )
يَقْدُمُ قَوْمَهٗ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فَاَوْرَدَهُمُ النَّارَ ۗوَبِئْسَ الْوِرْدُ الْمَوْرُوْدُ ٩٨
- yaqdumu
- يَقْدُمُ
- वो आगे होगा
- qawmahu
- قَوْمَهُۥ
- अपनी क़ौम के
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- fa-awradahumu
- فَأَوْرَدَهُمُ
- फिर वो ले आएगा उन्हें
- l-nāra
- ٱلنَّارَۖ
- आग पर
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और कितनी बुरी है
- l-wir'du
- ٱلْوِرْدُ
- घाट
- l-mawrūdu
- ٱلْمَوْرُودُ
- जो वारिद होने की जगह है
क़ियामत के दिन वह अपनी क़ौम के लोगों के आगे होगा - और उसने उन्हें आग में जा उतारा, और बहुत ही बुरा घाट है वह उतरने का! ([११] हूद: 98)Tafseer (तफ़सीर )
وَاُتْبِعُوْا فِيْ هٰذِهٖ لَعْنَةً وَّيَوْمَ الْقِيٰمَةِۗ بِئْسَ الرِّفْدُ الْمَرْفُوْدُ ٩٩
- wa-ut'biʿū
- وَأُتْبِعُوا۟
- और वो पीछे लगाए गए
- fī
- فِى
- इस (दुनिया) में
- hādhihi
- هَٰذِهِۦ
- इस (दुनिया) में
- laʿnatan
- لَعْنَةً
- लानत
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۚ
- क़यामत के (भी)
- bi'sa
- بِئْسَ
- कितना बुरा है
- l-rif'du
- ٱلرِّفْدُ
- इनआम
- l-marfūdu
- ٱلْمَرْفُودُ
- जो दिया गया
यहाँ भी लानत ने उनका पीछा किया और क़ियामत के दिन भी - बहुत ही बुरा पुरस्कार है यह जो किसी को दिया जाए! ([११] हूद: 99)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ مِنْ اَنْۢبَاۤءِ الْقُرٰى نَقُصُّهٗ عَلَيْكَ مِنْهَا قَاۤىِٕمٌ وَّحَصِيْدٌ ١٠٠
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- min
- مِنْ
- कुछ ख़बरें हैं
- anbāi
- أَنۢبَآءِ
- कुछ ख़बरें हैं
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- बस्तियों की
- naquṣṣuhu
- نَقُصُّهُۥ
- हम बयान करते हैं उन्हें
- ʿalayka
- عَلَيْكَۖ
- आप पर
- min'hā
- مِنْهَا
- उनमें से
- qāimun
- قَآئِمٌ
- कुछ क़ायम हैं
- waḥaṣīdun
- وَحَصِيدٌ
- और कुछ जड़ से कट चुकी हैं
ये बस्तियों के कुछ वृत्तान्त हैं, जो हम तुम्हें सुना रहे है। इनमें कुछ तो खड़ी है और कुछ की फ़सल कट चुकी है ([११] हूद: 100)Tafseer (तफ़सीर )