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सूरा हूद - Page: 10

Hud

(हूद)

९१

قَالُوْا يٰشُعَيْبُ مَا نَفْقَهُ كَثِيْرًا مِّمَّا تَقُوْلُ وَاِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْنَا ضَعِيْفًا ۗوَلَوْلَا رَهْطُكَ لَرَجَمْنٰكَ ۖوَمَآ اَنْتَ عَلَيْنَا بِعَزِيْزٍ ٩١

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
yāshuʿaybu
يَٰشُعَيْبُ
ऐ शुऐब
مَا
नहीं
nafqahu
نَفْقَهُ
हम समझ पाते
kathīran
كَثِيرًا
बहुत सा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
taqūlu
تَقُولُ
तुम कहते को
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lanarāka
لَنَرَىٰكَ
अलबत्ता हम देखते हैं तुझे
fīnā
فِينَا
अपने में
ḍaʿīfan
ضَعِيفًاۖ
बहुत कमज़ोर
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होता
rahṭuka
رَهْطُكَ
क़बीला तेरा
larajamnāka
لَرَجَمْنَٰكَۖ
अलबत्ता संगसार कर देते हम तुझे
wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
तू
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
biʿazīzin
بِعَزِيزٍ
कुछ ग़ालिब
उन्होंने कहा, 'ऐ शुऐब! तेरी बहुत-सी बातों को समझने में तो हम असमर्थ है। और हम तो तुझे देखते है कि तू हमारे मध्य अत्यन्त निर्बल है। यदि तेरे भाई-बन्धु न होते तो हम पत्थर मार-मारकर कभी का तुझे समाप्त कर चुके होते। तू इतने बल-बूतेवाला तो नहीं कि हमपर भारी हो।' ([११] हूद: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

قَالَ يٰقَوْمِ اَرَهْطِيْٓ اَعَزُّ عَلَيْكُمْ مِّنَ اللّٰهِ ۗوَاتَّخَذْتُمُوْهُ وَرَاۤءَكُمْ ظِهْرِيًّا ۗاِنَّ رَبِّيْ بِمَا تَعْمَلُوْنَ مُحِيْطٌ ٩٢

qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
arahṭī
أَرَهْطِىٓ
क्या क़बीला मेरा
aʿazzu
أَعَزُّ
ज़्यादा ज़ोर वाला है
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
wa-ittakhadhtumūhu
وَٱتَّخَذْتُمُوهُ
और बना लिया तुमने उसे
warāakum
وَرَآءَكُمْ
पीछे अपनी
ẓih'riyyan
ظِهْرِيًّاۖ
पुश्त के
inna
إِنَّ
बेशक
rabbī
رَبِّى
मेरा रब
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
muḥīṭun
مُحِيطٌ
घेरे हुए है
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! क्या मेरे भाई-बन्धु तुमपर अल्लाह से भी ज़्यादा भारी है कि तुमने उसे अपने पीछे डाल दिया? तुम जो कुछ भी करते हो निश्चय ही मेरे रब ने उसे अपने घेरे में ले रखा है ([११] हूद: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

وَيٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْ اِنِّيْ عَامِلٌ ۗسَوْفَ تَعْلَمُوْنَۙ مَنْ يَّأْتِيْهِ عَذَابٌ يُّخْزِيْهِ وَمَنْ هُوَ كَاذِبٌۗ وَارْتَقِبُوْٓا اِنِّيْ مَعَكُمْ رَقِيْبٌ ٩٣

wayāqawmi
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
iʿ'malū
ٱعْمَلُوا۟
अमल करो
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी जगह पर
makānatikum
مَكَانَتِكُمْ
अपनी जगह पर
innī
إِنِّى
बेशक मैं
ʿāmilun
عَٰمِلٌۖ
अमल करने वाला हूँ
sawfa
سَوْفَ
अनक़रीब
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जान लोगे
man
مَن
कौन है कि
yatīhi
يَأْتِيهِ
आता है उस पर
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
yukh'zīhi
يُخْزِيهِ
जो रुस्वा कर देगा उसे
waman
وَمَنْ
और कौन है
huwa
هُوَ
वो जो
kādhibun
كَٰذِبٌۖ
झूठा है
wa-ir'taqibū
وَٱرْتَقِبُوٓا۟
और इन्तिज़ार करो
innī
إِنِّى
बेशक मैं
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ तुम्हारे
raqībun
رَقِيبٌ
इन्तिज़ार करने वाला हूँ
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह कर्म करते रहो, मैं भी कर रहा हूँ। शीघ्र ही तुमको ज्ञात हो जाएगा कि किसपर वह यातना आती है, जो उसे अपमानित करके रहेगी, और कौन है जो झूठा है! प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा कर रहा हूँ।' ([११] हूद: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

وَلَمَّا جَاۤءَ اَمْرُنَا نَجَّيْنَا شُعَيْبًا وَّالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّاۚ وَاَخَذَتِ الَّذِيْنَ ظَلَمُوا الصَّيْحَةُ فَاَصْبَحُوْا فِيْ دِيَارِهِمْ جٰثِمِيْنَۙ ٩٤

walammā
وَلَمَّا
और जब
jāa
جَآءَ
आ गया
amrunā
أَمْرُنَا
फ़ैसला हमारा
najjaynā
نَجَّيْنَا
निजात दी हमने
shuʿayban
شُعَيْبًا
शुऐब को
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनको जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
biraḥmatin
بِرَحْمَةٍ
साथ रहमत के
minnā
مِّنَّا
अपनी तरफ़ से
wa-akhadhati
وَأَخَذَتِ
और पकड़ लिया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया था
l-ṣayḥatu
ٱلصَّيْحَةُ
चिंघाड़ ने
fa-aṣbaḥū
فَأَصْبَحُوا۟
तो उन्होने सुबह की
فِى
अपने घरों में
diyārihim
دِيَٰرِهِمْ
अपने घरों में
jāthimīna
جَٰثِمِينَ
औंधे मुँह पड़े हुए
अन्ततः जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने अपनी दयालुता से शुऐब और उसके साथ के ईमान लानेवालों को बचा लिया। और अत्याचार करनेवालों को एक प्रचंड चिंघार ने आ लिया और वे अपने घरों में औंधे पड़े रह गए, ([११] हूद: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

كَاَنْ لَّمْ يَغْنَوْا فِيْهَا ۗ اَلَا بُعْدًا لِّمَدْيَنَ كَمَا بَعِدَتْ ثَمُوْدُ ࣖ ٩٥

ka-an
كَأَن
गोया कि
lam
لَّمْ
ना
yaghnaw
يَغْنَوْا۟
वो बसे थे
fīhā
فِيهَآۗ
उनमें
alā
أَلَا
ख़बरदार
buʿ'dan
بُعْدًا
दूरी है
limadyana
لِّمَدْيَنَ
मदयन के लिए
kamā
كَمَا
जैसा कि
baʿidat
بَعِدَتْ
दूर हुए
thamūdu
ثَمُودُ
समूद
मानो वे वहाँ कभी बसे ही न थे। 'सुन लो! फिटकार है मदयनवालों पर, जैसे समूद पर फिटकार हुई!' ([११] हूद: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰى بِاٰيٰتِنَا وَسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍۙ ٩٦

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा को
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
साथ अपनी आयात के
wasul'ṭānin
وَسُلْطَٰنٍ
और दलील
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह के
और हमने मूसा को अपनी निशानियाँ और स्पष्ट प्रमाण के साथ ([११] हूद: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

اِلٰى فِرْعَوْنَ وَملَا۟ىِٕهٖ فَاتَّبَعُوْٓا اَمْرَ فِرْعَوْنَ ۚوَمَآ اَمْرُ فِرْعَوْنَ بِرَشِيْدٍ ٩٧

ilā
إِلَىٰ
तरफ़ फ़िरऔन
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
तरफ़ फ़िरऔन
wamala-ihi
وَمَلَإِي۟هِۦ
और उसके सरदारों के
fa-ittabaʿū
فَٱتَّبَعُوٓا۟
तो उन्होने पैरवी की
amra
أَمْرَ
हुक्म की
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَۖ
फ़िरऔन के
wamā
وَمَآ
और ना (था)
amru
أَمْرُ
हुक्म
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन का
birashīdin
بِرَشِيدٍ
भलाई वाला
फ़िरऔन और उसके सरदारों के पास भेजा, किन्तु वे फ़िरऔन ही के कहने पर चले, हालाँकि फ़िरऔन की बात कोई ठीक बात न थी। ([११] हूद: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

يَقْدُمُ قَوْمَهٗ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ فَاَوْرَدَهُمُ النَّارَ ۗوَبِئْسَ الْوِرْدُ الْمَوْرُوْدُ ٩٨

yaqdumu
يَقْدُمُ
वो आगे होगा
qawmahu
قَوْمَهُۥ
अपनी क़ौम के
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
fa-awradahumu
فَأَوْرَدَهُمُ
फिर वो ले आएगा उन्हें
l-nāra
ٱلنَّارَۖ
आग पर
wabi'sa
وَبِئْسَ
और कितनी बुरी है
l-wir'du
ٱلْوِرْدُ
घाट
l-mawrūdu
ٱلْمَوْرُودُ
जो वारिद होने की जगह है
क़ियामत के दिन वह अपनी क़ौम के लोगों के आगे होगा - और उसने उन्हें आग में जा उतारा, और बहुत ही बुरा घाट है वह उतरने का! ([११] हूद: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

وَاُتْبِعُوْا فِيْ هٰذِهٖ لَعْنَةً وَّيَوْمَ الْقِيٰمَةِۗ بِئْسَ الرِّفْدُ الْمَرْفُوْدُ ٩٩

wa-ut'biʿū
وَأُتْبِعُوا۟
और वो पीछे लगाए गए
فِى
इस (दुनिया) में
hādhihi
هَٰذِهِۦ
इस (दुनिया) में
laʿnatan
لَعْنَةً
लानत
wayawma
وَيَوْمَ
और दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۚ
क़यामत के (भी)
bi'sa
بِئْسَ
कितना बुरा है
l-rif'du
ٱلرِّفْدُ
इनआम
l-marfūdu
ٱلْمَرْفُودُ
जो दिया गया
यहाँ भी लानत ने उनका पीछा किया और क़ियामत के दिन भी - बहुत ही बुरा पुरस्कार है यह जो किसी को दिया जाए! ([११] हूद: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

ذٰلِكَ مِنْ اَنْۢبَاۤءِ الْقُرٰى نَقُصُّهٗ عَلَيْكَ مِنْهَا قَاۤىِٕمٌ وَّحَصِيْدٌ ١٠٠

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
min
مِنْ
कुछ ख़बरें हैं
anbāi
أَنۢبَآءِ
कुछ ख़बरें हैं
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
बस्तियों की
naquṣṣuhu
نَقُصُّهُۥ
हम बयान करते हैं उन्हें
ʿalayka
عَلَيْكَۖ
आप पर
min'hā
مِنْهَا
उनमें से
qāimun
قَآئِمٌ
कुछ क़ायम हैं
waḥaṣīdun
وَحَصِيدٌ
और कुछ जड़ से कट चुकी हैं
ये बस्तियों के कुछ वृत्तान्त हैं, जो हम तुम्हें सुना रहे है। इनमें कुछ तो खड़ी है और कुछ की फ़सल कट चुकी है ([११] हूद: 100)
Tafseer (तफ़सीर )