الۤرٰ ۗ كِتٰبٌ اُحْكِمَتْ اٰيٰتُهٗ ثُمَّ فُصِّلَتْ مِنْ لَّدُنْ حَكِيْمٍ خَبِيْرٍۙ ١
- alif-lam-ra
- الٓرۚ
- अलिफ़ लाम रा
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- एक किताब है
- uḥ'kimat
- أُحْكِمَتْ
- पुख़्ता की गई हैं
- āyātuhu
- ءَايَٰتُهُۥ
- आयात उसकी
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- fuṣṣilat
- فُصِّلَتْ
- खोल कर बयान की गईं
- min
- مِن
- तरफ़ से
- ladun
- لَّدُنْ
- तरफ़ से
- ḥakīmin
- حَكِيمٍ
- बहुत हिकमत वाले
- khabīrin
- خَبِيرٍ
- ख़ूब बाख़बर के
अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह एक किताब है जिसकी आयतें पक्की है, फिर सविस्तार बयान हुई हैं; उसकी ओर से जो अत्यन्त तत्वदर्शी, पूरी ख़बर रखनेवाला है ([११] हूद: 1)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّا تَعْبُدُوْٓا اِلَّا اللّٰهَ ۗاِنَّنِيْ لَكُمْ مِّنْهُ نَذِيْرٌ وَّبَشِيْرٌۙ ٢
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- taʿbudū
- تَعْبُدُوٓا۟
- तुम इबादत करो
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह की
- innanī
- إِنَّنِى
- बेशक मैं
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला
- wabashīrun
- وَبَشِيرٌ
- और ख़ुश ख़बरी देने वाला हूँ
कि 'तुम अल्लाह के सिवा किसी की बन्दगी न करो। मैं तो उसकी ओर से तुम्हें सचेत करनेवाला और शुभ सूचना देनेवाला हूँ।' ([११] हूद: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَّاَنِ اسْتَغْفِرُوْا رَبَّكُمْ ثُمَّ تُوْبُوْٓا اِلَيْهِ يُمَتِّعْكُمْ مَّتَاعًا حَسَنًا اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّى وَّيُؤْتِ كُلَّ ذِيْ فَضْلٍ فَضْلَهٗ ۗوَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ كَبِيْرٍ ٣
- wa-ani
- وَأَنِ
- और ये कि
- is'taghfirū
- ٱسْتَغْفِرُوا۟
- तुम बख़्शिश माँगो
- rabbakum
- رَبَّكُمْ
- अपने रब से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tūbū
- تُوبُوٓا۟
- तुम तौबा करो
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- yumattiʿ'kum
- يُمَتِّعْكُم
- वो फ़ायदा देगा तुम्हें
- matāʿan
- مَّتَٰعًا
- फ़ायदा
- ḥasanan
- حَسَنًا
- अच्छा
- ilā
- إِلَىٰٓ
- एक मुद्दत तक
- ajalin
- أَجَلٍ
- एक मुद्दत तक
- musamman
- مُّسَمًّى
- मुक़र्रर
- wayu'ti
- وَيُؤْتِ
- और वो देगा
- kulla
- كُلَّ
- हर
- dhī
- ذِى
- साहिबे फ़ज़ल को
- faḍlin
- فَضْلٍ
- साहिबे फ़ज़ल को
- faḍlahu
- فَضْلَهُۥۖ
- फ़ज़ल उसका
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- तुम मुँह फेरोगे
- fa-innī
- فَإِنِّىٓ
- तो बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब से
- yawmin
- يَوْمٍ
- बड़े दिन के
- kabīrin
- كَبِيرٍ
- बड़े दिन के
और यह कि 'अपने रब से क्षमा माँगो, फिर उसकी ओर पलट आओ। वह तुम्हें एक निश्चित अवधि तक सुखोपभोग की उत्तम सामग्री प्रदान करेगा। और बढ़-बढ़कर कर्म करनेवालों पर वह तदधिक अपना अनुग्रह करेगा, किन्तु यदि तुम मुँह फेरते हो तो निश्चय ही मुझे तुम्हारे विषय में एक बड़े दिन की यातना का भय है ([११] हूद: 3)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَى اللّٰهِ مَرْجِعُكُمْ ۚوَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٤
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह ही के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह ही के
- marjiʿukum
- مَرْجِعُكُمْۖ
- लौटना है तुम्हारा
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
तुम्हें अल्लाह ही की ओर पलटना है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।' ([११] हूद: 4)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَآ اِنَّهُمْ يَثْنُوْنَ صُدُوْرَهُمْ لِيَسْتَخْفُوْا مِنْهُۗ اَلَا حِيْنَ يَسْتَغْشُوْنَ ثِيَابَهُمْ ۙيَعْلَمُ مَا يُسِرُّوْنَ وَمَا يُعْلِنُوْنَۚ اِنَّهٗ عَلِيْمٌ ۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۔ ٥
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- yathnūna
- يَثْنُونَ
- वो दोहरे करते हैं
- ṣudūrahum
- صُدُورَهُمْ
- सीने अपने
- liyastakhfū
- لِيَسْتَخْفُوا۟
- ताकि वो छुप सकें
- min'hu
- مِنْهُۚ
- उससे
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- ḥīna
- حِينَ
- जिस वक़्त
- yastaghshūna
- يَسْتَغْشُونَ
- वो ढाँपते हैं
- thiyābahum
- ثِيَابَهُمْ
- कपड़े अपने
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- yusirrūna
- يُسِرُّونَ
- वो छुपाते हैं
- wamā
- وَمَا
- और जो
- yuʿ'linūna
- يُعْلِنُونَۚ
- वो ज़ाहिर करते हैं
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले (भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले (भेद)
देखो! ये अपने सीनों को मोड़ते है, चाहिए कि उससे छिपें। देखों! जब ये अपने कपड़ों से स्वयं को ढाँकते है, वह जानता है जो कुछ वे छिपाते है और जो कुछ वे प्रकट करते है। निस्संदेह वह सीनों तक की बात को जानता है ([११] हूद: 5)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَمَا مِنْ دَاۤبَّةٍ فِى الْاَرْضِ اِلَّا عَلَى اللّٰهِ رِزْقُهَا وَيَعْلَمُ مُسْتَقَرَّهَا وَمُسْتَوْدَعَهَا ۗ كُلٌّ فِيْ كِتٰبٍ مُّبِيْنٍ ٦
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- min
- مِن
- कोई जानदार
- dābbatin
- دَآبَّةٍ
- कोई जानदार
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह ही पर है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह ही पर है
- riz'quhā
- رِزْقُهَا
- रिज़्क़ उसका
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mus'taqarrahā
- مُسْتَقَرَّهَا
- ठिकाना उसका
- wamus'tawdaʿahā
- وَمُسْتَوْدَعَهَاۚ
- और सौंपे जाने की जगह उसकी
- kullun
- كُلٌّ
- सब कुछ
- fī
- فِى
- एक वाज़ेह किताब में है
- kitābin
- كِتَٰبٍ
- एक वाज़ेह किताब में है
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- एक वाज़ेह किताब में है
धरती में चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है उसकी रोज़ी अल्लाह के ज़िम्मे है। वह जानता है जहाँ उसे ठहरना है और जहाँ उसे सौपा जाना है। सब कुछ एक स्पष्ट किताब में मौजूद है ([११] हूद: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِيْ سِتَّةِ اَيَّامٍ وَّكَانَ عَرْشُهٗ عَلَى الْمَاۤءِ لِيَبْلُوَكُمْ اَيُّكُمْ اَحْسَنُ عَمَلًا ۗوَلَىِٕنْ قُلْتَ اِنَّكُمْ مَّبْعُوْثُوْنَ مِنْۢ بَعْدِ الْمَوْتِ لَيَقُوْلَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ هٰذَٓا اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ٧
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- fī
- فِى
- छः दिनों में
- sittati
- سِتَّةِ
- छः दिनों में
- ayyāmin
- أَيَّامٍ
- छः दिनों में
- wakāna
- وَكَانَ
- और था
- ʿarshuhu
- عَرْشُهُۥ
- अर्श उसका
- ʿalā
- عَلَى
- पानी पर
- l-māi
- ٱلْمَآءِ
- पानी पर
- liyabluwakum
- لِيَبْلُوَكُمْ
- ताकि वो आज़माए तुम्हें
- ayyukum
- أَيُّكُمْ
- कौन तुम में से
- aḥsanu
- أَحْسَنُ
- ज़्यादा अच्छा है
- ʿamalan
- عَمَلًاۗ
- अमल में
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- qul'ta
- قُلْتَ
- कहें आप
- innakum
- إِنَّكُم
- बेशक तुम
- mabʿūthūna
- مَّبْعُوثُونَ
- उठाए जाने वाले हो
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِ
- मौत के
- layaqūlanna
- لَيَقُولَنَّ
- अलबत्ता ज़रूर कहेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- in
- إِنْ
- नहीं
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- siḥ'run
- سِحْرٌ
- जादू
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
वही है जिसने आकाशों और धरती को छः दिनों में पैदा किया - उसका सिंहासन पानी पर था - ताकि वह तुम्हारी परीक्षा ले कि तुममें कर्म की स्पष्ट से कौन सबसे अच्छा है। और यदि तुम कहो कि 'मरने के पश्चात तुम अवश्य उठोगे।' तो जिन्हें इनकार है, वे कहने लगेंगे, 'यह तो खुला जादू है।' ([११] हूद: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ اَخَّرْنَا عَنْهُمُ الْعَذَابَ اِلٰٓى اُمَّةٍ مَّعْدُوْدَةٍ لَّيَقُوْلُنَّ مَا يَحْبِسُهٗ ۗ اَلَا يَوْمَ يَأْتِيْهِمْ لَيْسَ مَصْرُوْفًا عَنْهُمْ وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ࣖ ٨
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- akharnā
- أَخَّرْنَا
- मुअख़्ख़र कर दें हम
- ʿanhumu
- عَنْهُمُ
- उनसे
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَ
- अज़ाब को
- ilā
- إِلَىٰٓ
- एक मुद्दत तक
- ummatin
- أُمَّةٍ
- एक मुद्दत तक
- maʿdūdatin
- مَّعْدُودَةٍ
- शुमार की हुई
- layaqūlunna
- لَّيَقُولُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
- mā
- مَا
- किस चीज़ ने
- yaḥbisuhu
- يَحْبِسُهُۥٓۗ
- रोक रखा है उसे
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yatīhim
- يَأْتِيهِمْ
- वो आ जाएगा उनके पास
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं
- maṣrūfan
- مَصْرُوفًا
- फेरा जाएगा
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- waḥāqa
- وَحَاقَ
- और घेर लेगा
- bihim
- بِهِم
- उन्हें
- mā
- مَّا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- yastahziūna
- يَسْتَهْزِءُونَ
- वो मज़ाक़ उड़ाते
यदि हम एक निश्चित अवधि तक के लिए उनसे यातना को टाले रखें, तो वे कहने लगेंगे, 'आख़िर किस चीज़ ने उसे रोक रखा है?' सुन लो! जिन दिन वह उनपर आ जाएगी तो फिर वह उनपर से टाली नहीं जाएगी। और वही चीज़ उन्हें घेर लेगी जिसका वे उपहास करते है ([११] हूद: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ اَذَقْنَا الْاِنْسَانَ مِنَّا رَحْمَةً ثُمَّ نَزَعْنٰهَا مِنْهُۚ اِنَّهٗ لَيَـُٔوْسٌ كَفُوْرٌ ٩
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- adhaqnā
- أَذَقْنَا
- चखाऐं हम
- l-insāna
- ٱلْإِنسَٰنَ
- इन्सान को
- minnā
- مِنَّا
- अपनी तरफ़ से
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- रहमत
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- nazaʿnāhā
- نَزَعْنَٰهَا
- छीन लें हम उसको
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- layaūsun
- لَيَـُٔوسٌ
- अलबत्ता बहुत मायूस होने वाला
- kafūrun
- كَفُورٌ
- बहुत नाशुक्रा है
यदि हम मनुष्य को अपनी दयालुता का रसास्वादन कराकर फिर उसको छीन लॆं, तॊ (वह दयालुता कॆ लिए याचना नहीं करता) निश्चय ही वह निराशावादी, कृतघ्न है ([११] हूद: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ اَذَقْنٰهُ نَعْمَاۤءَ بَعْدَ ضَرَّاۤءَ مَسَّتْهُ لَيَقُوْلَنَّ ذَهَبَ السَّيِّاٰتُ عَنِّيْ ۗاِنَّهٗ لَفَرِحٌ فَخُوْرٌۙ ١٠
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- adhaqnāhu
- أَذَقْنَٰهُ
- चखाऐं हम उसे
- naʿmāa
- نَعْمَآءَ
- आसाइश
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- ḍarrāa
- ضَرَّآءَ
- तकलीफ़ के
- massathu
- مَسَّتْهُ
- जो पहुँची उसे
- layaqūlanna
- لَيَقُولَنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेगा
- dhahaba
- ذَهَبَ
- दूर हो गईं
- l-sayiātu
- ٱلسَّيِّـَٔاتُ
- बुराईयाँ (तकालीफ़)
- ʿannī
- عَنِّىٓۚ
- मुझसे
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lafariḥun
- لَفَرِحٌ
- अलबत्ता बहुत इतराने वाला
- fakhūrun
- فَخُورٌ
- बहुत फ़ख़्र करने वाला है
और यदि हम इसके पश्चात कि उसे तकलीफ़ पहुँची हो, उसे नेमत का रसास्वादन कराते है तो वह कहने लगता है, 'मेरे तो सारे दुख दूर हो गए।' वह तो फूला नहीं समाता, डींगे मारने लगता है ([११] हूद: 10)Tafseer (तफ़सीर )