فَلَمَّآ اَلْقَوْا قَالَ مُوْسٰى مَا جِئْتُمْ بِهِ ۙالسِّحْرُۗ اِنَّ اللّٰهَ سَيُبْطِلُهٗۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُصْلِحُ عَمَلَ الْمُفْسِدِيْنَ ࣖ ٨١
- falammā
- فَلَمَّآ
- तो जब
- alqaw
- أَلْقَوْا۟
- उन्होंने डाला
- qāla
- قَالَ
- कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- mā
- مَا
- वो जो
- ji'tum
- جِئْتُم
- लाए हो तुम
- bihi
- بِهِ
- जिसको
- l-siḥ'ru
- ٱلسِّحْرُۖ
- जादू है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- sayub'ṭiluhu
- سَيُبْطِلُهُۥٓۖ
- अनक़रीब वो बातिल कर देगा उसे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो संवारता
- yuṣ'liḥu
- يُصْلِحُ
- नहीं वो संवारता
- ʿamala
- عَمَلَ
- काम
- l-muf'sidīna
- ٱلْمُفْسِدِينَ
- मुफ़सिदों का
फिर जब उन्होंने डाला तो मूसा ने कहा, 'तुम जो कुछ लाए हो, जादू है। अल्लाह अभी उसे मटियामेट किए देता है। निस्संदेह अल्लाह बिगाड़ पैदा करनेवालों के कर्म को फलीभूत नहीं होने देता ([१०] युनुस: 81)Tafseer (तफ़सीर )
وَيُحِقُّ اللّٰهُ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ وَلَوْ كَرِهَ الْمُجْرِمُوْنَ ٨٢
- wayuḥiqqu
- وَيُحِقُّ
- और सच्चा साबित कर दिखाता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- हक़ को
- bikalimātihi
- بِكَلِمَٰتِهِۦ
- अपने कलिमात से
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kariha
- كَرِهَ
- नापसंद करें
- l-muj'rimūna
- ٱلْمُجْرِمُونَ
- मुजरिम
'अल्लाह अपने शब्दों से सत्य को सत्य कर दिखाता है, चाहे अपराधी नापसन्द ही करें।' ([१०] युनुस: 82)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَآ اٰمَنَ لِمُوْسٰىٓ اِلَّا ذُرِّيَّةٌ مِّنْ قَوْمِهٖ عَلٰى خَوْفٍ مِّنْ فِرْعَوْنَ وَمَلَا۟ىِٕهِمْ اَنْ يَّفْتِنَهُمْ ۗوَاِنَّ فِرْعَوْنَ لَعَالٍ فِى الْاَرْضِۚ وَاِنَّهٗ لَمِنَ الْمُسْرِفِيْنَ ٨٣
- famā
- فَمَآ
- तो ना
- āmana
- ءَامَنَ
- बात मानी
- limūsā
- لِمُوسَىٰٓ
- मूसा की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- dhurriyyatun
- ذُرِّيَّةٌ
- चंद नौजवानों ने
- min
- مِّن
- उसकी क़ौम में से
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- उसकी क़ौम में से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ख़ौफ़ की बिना पर
- khawfin
- خَوْفٍ
- ख़ौफ़ की बिना पर
- min
- مِّن
- फ़िरऔन से
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन से
- wamala-ihim
- وَمَلَإِي۟هِمْ
- और उसके सरदारों से
- an
- أَن
- कि
- yaftinahum
- يَفْتِنَهُمْۚ
- वो फ़ितने में डाल देगा उन्हें
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन
- laʿālin
- لَعَالٍ
- अलबत्ता सरकश था
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- lamina
- لَمِنَ
- यक़ीनन हद से बढ़ जाने वालों में से था
- l-mus'rifīna
- ٱلْمُسْرِفِينَ
- यक़ीनन हद से बढ़ जाने वालों में से था
फिर मूसा की बात उसकी क़ौम की संतति में से बस कुछ ही लोगों ने मानी; फ़िरऔन और उनके सरदारों के भय से कि कहीं उन्हें किसी फ़ितने में न डाल दें। फ़िरऔन था भी धरती में बहुत सिर उठाए हुए, औऱ निश्चय ही वह हद से आगे बढ़ गया था ([१०] युनुस: 83)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ مُوْسٰى يٰقَوْمِ اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ فَعَلَيْهِ تَوَكَّلُوْٓا اِنْ كُنْتُمْ مُّسْلِمِيْنَ ٨٤
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- āmantum
- ءَامَنتُم
- ईमान लाए तुम
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- faʿalayhi
- فَعَلَيْهِ
- तो उसी पर
- tawakkalū
- تَوَكَّلُوٓا۟
- तुम तवक्कल करो
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mus'limīna
- مُّسْلِمِينَ
- फ़रमाबरदार
मूसा ने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यदि तुम अल्लाह पर ईमान रखते हो तो उसपर भरोसा करो, यदि तुम आज्ञाकारी हो।' ([१०] युनुस: 84)Tafseer (तफ़सीर )
فَقَالُوْا عَلَى اللّٰهِ تَوَكَّلْنَا ۚرَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا فِتْنَةً لِّلْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ٨٥
- faqālū
- فَقَالُوا۟
- तो उन्होंने कहा
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह ही पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह ही पर
- tawakkalnā
- تَوَكَّلْنَا
- तवक्कल किया हमने
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- lā
- لَا
- ना तू बनाना हमें
- tajʿalnā
- تَجْعَلْنَا
- ना तू बनाना हमें
- fit'natan
- فِتْنَةً
- फ़ितना
- lil'qawmi
- لِّلْقَوْمِ
- उन लोगों के लिए
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
इसपर वे बोले, 'हमने अल्लाह पर भरोसा किया। ऐ हमारे रब! तू हमें अत्याचारी लोगों के हाथों आज़माइश में न डाल ([१०] युनुस: 85)Tafseer (तफ़सीर )
وَنَجِّنَا بِرَحْمَتِكَ مِنَ الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ ٨٦
- wanajjinā
- وَنَجِّنَا
- और निजात दे हमें
- biraḥmatika
- بِرَحْمَتِكَ
- साथ अपनी रहमत के
- mina
- مِنَ
- उन लोगों से
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों से
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- जो काफ़िर हैं
'और अपनी दयालुता से हमें इनकार करनेवालों से छुटकारा दिया।' ([१०] युनुस: 86)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَوْحَيْنَآ اِلٰى مُوْسٰى وَاَخِيْهِ اَنْ تَبَوَّاٰ لِقَوْمِكُمَا بِمِصْرَ بُيُوْتًا وَّاجْعَلُوْا بُيُوْتَكُمْ قِبْلَةً وَّاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَۗ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ ٨٧
- wa-awḥaynā
- وَأَوْحَيْنَآ
- और वही की हमने
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ मूसा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- तरफ़ मूसा
- wa-akhīhi
- وَأَخِيهِ
- और उसके भाई के
- an
- أَن
- कि
- tabawwaā
- تَبَوَّءَا
- तुम दोनों मुतय्यन करो
- liqawmikumā
- لِقَوْمِكُمَا
- अपनी क़ौम के लिए
- bimiṣ'ra
- بِمِصْرَ
- मिस्र में
- buyūtan
- بُيُوتًا
- कुछ घर
- wa-ij'ʿalū
- وَٱجْعَلُوا۟
- और बना लो
- buyūtakum
- بُيُوتَكُمْ
- अपने घरों को
- qib'latan
- قِبْلَةً
- क़िबला/मरकज़
- wa-aqīmū
- وَأَقِيمُوا۟
- और क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَۗ
- नमाज़
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशखबरी दो
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
हमने मूसा और उसके भाई की ओर प्रकाशना की कि 'तुम दोनों अपने लोगों के लिए मिस्र में कुछ घर निश्चित कर लो औऱ अपने घरों को क़िबला बना लो। और नमाज़ क़ायम करो और ईमानवालों को शुभसूचना दे दो।' ([१०] युनुस: 87)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ مُوْسٰى رَبَّنَآ اِنَّكَ اٰتَيْتَ فِرْعَوْنَ وَمَلَاَهٗ زِيْنَةً وَّاَمْوَالًا فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۗ رَبَّنَا لِيُضِلُّوْا عَنْ سَبِيْلِكَ ۚرَبَّنَا اطْمِسْ عَلٰٓى اَمْوَالِهِمْ وَاشْدُدْ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُوْا حَتّٰى يَرَوُا الْعَذَابَ الْاَلِيْمَ ٨٨
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- ātayta
- ءَاتَيْتَ
- दी तूने
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन को
- wamala-ahu
- وَمَلَأَهُۥ
- और उसके सरदारों को
- zīnatan
- زِينَةً
- ज़ीनत
- wa-amwālan
- وَأَمْوَٰلًا
- और माल
- fī
- فِى
- दुनिया की ज़िन्दगी में
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- दुनिया की ज़िन्दगी में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की ज़िन्दगी में
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- liyuḍillū
- لِيُضِلُّوا۟
- ताकि वो भटकाऐं
- ʿan
- عَن
- तेरे रास्ते से
- sabīlika
- سَبِيلِكَۖ
- तेरे रास्ते से
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- iṭ'mis
- ٱطْمِسْ
- मिटा दे
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इनके मालों को
- amwālihim
- أَمْوَٰلِهِمْ
- इनके मालों को
- wa-ush'dud
- وَٱشْدُدْ
- और सख़्ती डाल दे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- इनके दिलों पर
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- इनके दिलों पर
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟
- वो ईमान लाऐं
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yarawū
- يَرَوُا۟
- वो देख लें
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَ
- अज़ाब
- l-alīma
- ٱلْأَلِيمَ
- दर्दनाक
मूसा ने कहा, 'हमारे रब! तूने फ़िरऔन और उसके सरदारों को सांसारिक जीवन में शोभा-सामग्री और धन दिए है, हमारे रब, इसलिए कि वे तेरे मार्ग से भटकाएँ! हमारे रब, उनके धन नष्ट कर दे और उनके हृदय कठोर कर दे कि वे ईमान न लाएँ, ताकि वे दुखद यातना देख लें।' ([१०] युनुस: 88)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ قَدْ اُجِيْبَتْ دَّعْوَتُكُمَا فَاسْتَقِيْمَا وَلَا تَتَّبِعٰۤنِّ سَبِيْلَ الَّذِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ٨٩
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ujībat
- أُجِيبَت
- क़ुबूल कर ली गई
- daʿwatukumā
- دَّعْوَتُكُمَا
- दुआ तुम दोनों की
- fa-is'taqīmā
- فَٱسْتَقِيمَا
- पस तुम दोनों साबित क़दम रहो
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattabiʿānni
- تَتَّبِعَآنِّ
- तुम दोनों हरगिज़ पैरवी करना
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ते की
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जो
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
कहा, 'तुम दोनों की प्रार्थना स्वीकृत हो चुकी। अतः तुम दोनों जमें रहो और उन लोगों के मार्ग पर कदापि न चलना, जो जानते नहीं।' ([१०] युनुस: 89)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَجَاوَزْنَا بِبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ الْبَحْرَ فَاَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ وَجُنُوْدُهٗ بَغْيًا وَّعَدْوًا ۗحَتّٰىٓ اِذَآ اَدْرَكَهُ الْغَرَقُ قَالَ اٰمَنْتُ اَنَّهٗ لَآ اِلٰهَ اِلَّا الَّذِيْٓ اٰمَنَتْ بِهٖ بَنُوْٓا اِسْرَاۤءِيْلَ وَاَنَا۠ مِنَ الْمُسْلِمِيْنَ ٩٠
- wajāwaznā
- وَجَٰوَزْنَا
- और पार करा दिया हमने
- bibanī
- بِبَنِىٓ
- बनी इस्राईल को
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल को
- l-baḥra
- ٱلْبَحْرَ
- समुन्दर
- fa-atbaʿahum
- فَأَتْبَعَهُمْ
- फिर पीछा किया उनका
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन
- wajunūduhu
- وَجُنُودُهُۥ
- और उसके लश्करों ने
- baghyan
- بَغْيًا
- सरकशी
- waʿadwan
- وَعَدْوًاۖ
- और ज़्यादती से
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَآ
- जब
- adrakahu
- أَدْرَكَهُ
- पा लिया उसे
- l-gharaqu
- ٱلْغَرَقُ
- ग़र्क़ होने ने
- qāla
- قَالَ
- वो बोला
- āmantu
- ءَامَنتُ
- मैं ईमान ले आया
- annahu
- أَنَّهُۥ
- कि बेशक वो
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो ही जो
- āmanat
- ءَامَنَتْ
- ईमान लाए
- bihi
- بِهِۦ
- जिस पर
- banū
- بَنُوٓا۟
- बनी इस्राईल
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल
- wa-anā
- وَأَنَا۠
- और मैं
- mina
- مِنَ
- मुसलमानों में से हूँ
- l-mus'limīna
- ٱلْمُسْلِمِينَ
- मुसलमानों में से हूँ
और हमने इसराईलियों को समुद्र पार करा दिया। फिर फ़िरऔन और उसकी सेनाओं ने सरकशी और ज़्यादती के साथ उनका पीछा किया, यहाँ तक कि जब वह डूबने लगा तो पुकार उठा, 'मैं ईमान ले आया कि उसके सिव कोई पूज्य-प्रभु नही, जिस पर इसराईल की सन्तान ईमान लाई। अब मैं आज्ञाकारी हूँ।' ([१०] युनुस: 90)Tafseer (तफ़सीर )