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सूरा युनुस - Page: 6

Yunus

(यूनुस)

५१

اَثُمَّ اِذَا مَا وَقَعَ اٰمَنْتُمْ بِهٖۗ اٰۤلْـٰٔنَ وَقَدْ كُنْتُمْ بِهٖ تَسْتَعْجِلُوْنَ ٥١

athumma
أَثُمَّ
क्या फिर
idhā
إِذَا
ज्योहीं
مَا
ज्योहीं
waqaʿa
وَقَعَ
वो वाक़ेअ होगा
āmantum
ءَامَنتُم
ईमान लाओगे तुम (तब)
bihi
بِهِۦٓۚ
उस पर
āl'āna
ءَآلْـَٰٔنَ
क्या अब
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
kuntum
كُنتُم
थे तुम
bihi
بِهِۦ
उसी को
tastaʿjilūna
تَسْتَعْجِلُونَ
तुम जल्दी तलब किया करते
क्या फिर जब वह घटित हो जाएगी तब तुम उसे मानोगे? - क्या अब! इसी के लिए तो तुम जल्दी मचा रहे थे!' ([१०] युनुस: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

ثُمَّ قِيْلَ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا ذُوْقُوْا عَذَابَ الْخُلْدِۚ هَلْ تُجْزَوْنَ اِلَّا بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ٥٢

thumma
ثُمَّ
फिर
qīla
قِيلَ
कहा जाएगा
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
dhūqū
ذُوقُوا۟
चखो
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब
l-khul'di
ٱلْخُلْدِ
हमेशगी का
hal
هَلْ
नहीं
tuj'zawna
تُجْزَوْنَ
तुम बदला दिए जा रहे
illā
إِلَّا
मगर
bimā
بِمَا
उसका जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taksibūna
تَكْسِبُونَ
तुम कमाई करते
'फिर अत्याचारी लोगों से कहा जाएगा, 'स्थायी यातना का मज़ा चख़ो! जो कुछ तुम कमाते रहे हो, उसके सिवा तुम्हें और क्या बदला दिया जा सकता है?' ([१०] युनुस: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

وَيَسْتَنْۢبِـُٔوْنَكَ اَحَقٌّ هُوَ ۗ قُلْ اِيْ وَرَبِّيْٓ اِنَّهٗ لَحَقٌّ ۗوَمَآ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِيْنَ ࣖ ٥٣

wayastanbiūnaka
وَيَسْتَنۢبِـُٔونَكَ
और वो पूछते हैं आपसे
aḥaqqun
أَحَقٌّ
क्या सच है
huwa
هُوَۖ
वो
qul
قُلْ
कह दीजिए
ī
إِى
हाँ
warabbī
وَرَبِّىٓ
क़सम है मेरे रब की
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
laḥaqqun
لَحَقٌّۖ
यक़ीनन हक़ है
wamā
وَمَآ
और नहीं
antum
أَنتُم
तुम
bimuʿ'jizīna
بِمُعْجِزِينَ
आजिज़ करने वाले
वे तुम से चाहते है कि उन्हें ख़बर दो कि 'क्या वह वास्तव में सत्य है?' कह दो, 'हाँ, मेरे रब की क़सम! वह बिल्कुल सत्य है और तुम क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले नहीं हो।' ([१०] युनुस: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

وَلَوْ اَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍ ظَلَمَتْ مَا فِى الْاَرْضِ لَافْتَدَتْ بِهٖۗ وَاَسَرُّوا النَّدَامَةَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَۚ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ٥٤

walaw
وَلَوْ
और अगर
anna
أَنَّ
बेशक हो
likulli
لِكُلِّ
हर नफ़्स के लिए
nafsin
نَفْسٍ
हर नफ़्स के लिए
ẓalamat
ظَلَمَتْ
जिसने ज़ुल्म किया
مَا
जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
la-if'tadat
لَٱفْتَدَتْ
अलबत्ता वो फ़िदया दे दे
bihi
بِهِۦۗ
उसका
wa-asarrū
وَأَسَرُّوا۟
और वो छुपाऐंगे
l-nadāmata
ٱلنَّدَامَةَ
नदामत को
lammā
لَمَّا
जब
ra-awū
رَأَوُا۟
वो देखेंगे
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَۖ
अज़ाब
waquḍiya
وَقُضِىَ
और फ़ैसला कर दिया जाएगा
baynahum
بَيْنَهُم
दर्मियान उनके
bil-qis'ṭi
بِٱلْقِسْطِۚ
साथ इन्साफ़ के
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
yuẓ'lamūna
يُظْلَمُونَ
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
यदि प्रत्येक अत्याचारी व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो जो धरती में है, तो वह अर्थदंड के रूप में उसे दे डाले। जब वे यातना को देखेंगे तो मन ही मन में पछताएँगे। उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार न होगा ([१०] युनुस: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

اَلَآ اِنَّ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اَلَآ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٥٥

alā
أَلَآ
ख़बरदार
inna
إِنَّ
बेशक
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۗ
और ज़मीन में है
alā
أَلَآ
ख़बरदार
inna
إِنَّ
बेशक
waʿda
وَعْدَ
वादा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ḥaqqun
حَقٌّ
सच्चा है
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
aktharahum
أَكْثَرَهُمْ
अक्सर उनके
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
सुन लो, जो कुछ आकाशों और धरती में है, अल्लाह ही का है। जान लो, निस्संदेह अल्लाह का वादा सच्चा है, किन्तु उनमें अधिकतर लोग जानते नहीं ([१०] युनुस: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

هُوَ يُحْيٖ وَيُمِيْتُ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٥٦

huwa
هُوَ
वो ही
yuḥ'yī
يُحْىِۦ
वो ज़िन्दा करता है
wayumītu
وَيُمِيتُ
और वो मौत देता है
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम लौटाए जाओगे
वही जिलाता है और मारता है और उसी की ओर तुम लौटाए जा रहे हो ([१०] युनुस: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاۤءَتْكُمْ مَّوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَشِفَاۤءٌ لِّمَا فِى الصُّدُوْرِۙ وَهُدًى وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِيْنَ ٥٧

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
ऐ लोगो
qad
قَدْ
तहक़ीक़
jāatkum
جَآءَتْكُم
आ चुकी तुम्हारे पास
mawʿiẓatun
مَّوْعِظَةٌ
एक नसीहत
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
washifāon
وَشِفَآءٌ
और शिफ़ा
limā
لِّمَا
उसके लिए जो
فِى
सीनों में है
l-ṣudūri
ٱلصُّدُورِ
सीनों में है
wahudan
وَهُدًى
और हिदायत
waraḥmatun
وَرَحْمَةٌ
और रहमत
lil'mu'minīna
لِّلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों के लिए
ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से उपदेश औऱ जो कुछ सीनों में (रोग) है, उसके लिए रोगमुक्ति और मोमिनों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता आ चुकी है ([१०] युनुस: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

قُلْ بِفَضْلِ اللّٰهِ وَبِرَحْمَتِهٖ فَبِذٰلِكَ فَلْيَفْرَحُوْاۗ هُوَ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُوْنَ ٥٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
bifaḍli
بِفَضْلِ
साथ अल्लाह के फ़ज़ल के
l-lahi
ٱللَّهِ
साथ अल्लाह के फ़ज़ल के
wabiraḥmatihi
وَبِرَحْمَتِهِۦ
और उसकी रहमत के
fabidhālika
فَبِذَٰلِكَ
तो उस पर
falyafraḥū
فَلْيَفْرَحُوا۟
पस ज़रूर वो ख़ुश हों
huwa
هُوَ
वो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
mimmā
مِّمَّا
उससे जो
yajmaʿūna
يَجْمَعُونَ
वो जमा करते हैं
कह दो, 'यह अल्लाह के अनुग्रह और उसकी दया से है, अतः इस पर प्रसन्न होना चाहिए। यह उन सब चीज़ों से उत्तम है, जिनको वे इकट्ठा करने में लगे हुए है।' ([१०] युनुस: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

قُلْ اَرَءَيْتُمْ مَّآ اَنْزَلَ اللّٰهُ لَكُمْ مِّنْ رِّزْقٍ فَجَعَلْتُمْ مِّنْهُ حَرَامًا وَّحَلٰلًا ۗ قُلْ اٰۤللّٰهُ اَذِنَ لَكُمْ اَمْ عَلَى اللّٰهِ تَفْتَرُوْنَ ٥٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
ara-aytum
أَرَءَيْتُم
क्या ग़ौर किया तुमने
مَّآ
जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
रिज़्क़ में से
riz'qin
رِّزْقٍ
रिज़्क़ में से
fajaʿaltum
فَجَعَلْتُم
तो बना लिया तुमने
min'hu
مِّنْهُ
उसमें से
ḥarāman
حَرَامًا
कुछ हराम
waḥalālan
وَحَلَٰلًا
और कुछ हलाल
qul
قُلْ
कह दीजिए
āllahu
ءَآللَّهُ
क्या अल्लाह ने
adhina
أَذِنَ
इजाज़त दी है
lakum
لَكُمْۖ
तुम्हें
am
أَمْ
या
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
taftarūna
تَفْتَرُونَ
तुम झूठ गढ़ते हो
कह दो, 'क्या तुम लोगों ने यह भी देखा कि जो रोज़ी अल्लाह ने तुम्हारे लिए उतारी है उसमें से तुमने स्वयं ही कुछ को हराम और हलाल ठहरा लिया?' कहो, 'क्या अल्लाह ने तुम्हें इसकी अनुमति दी है या तुम अल्लाह पर झूठ घड़कर थोप रहे हो?' ([१०] युनुस: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

وَمَا ظَنُّ الَّذِيْنَ يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَى النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَشْكُرُوْنَ ࣖ ٦٠

wamā
وَمَا
और क्या है
ẓannu
ظَنُّ
गुमान
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
गढ़ते हैं
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَ
झूठ
yawma
يَوْمَ
क़यामत के दिन में
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۗ
क़यामत के दिन में
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ladhū
لَذُو
अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
faḍlin
فَضْلٍ
अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
ʿalā
عَلَى
लोगों पर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों पर
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
aktharahum
أَكْثَرَهُمْ
अक्सर उनके
لَا
नहीं वो शुक्र करते
yashkurūna
يَشْكُرُونَ
नहीं वो शुक्र करते
जो लोग झूठ घड़कर उसे अल्लाह पर थोंपते है, उन्होंने क़ियामत के दिन के विषय में क्या समझ रखा है? अल्लाह तो लोगों के लिए बड़ा अनुग्रहवाला है, किन्तु उनमें अधिकतर कृतज्ञता नहीं दिखलाते ([१०] युनुस: 60)
Tafseer (तफ़सीर )