اَثُمَّ اِذَا مَا وَقَعَ اٰمَنْتُمْ بِهٖۗ اٰۤلْـٰٔنَ وَقَدْ كُنْتُمْ بِهٖ تَسْتَعْجِلُوْنَ ٥١
- athumma
- أَثُمَّ
- क्या फिर
- idhā
- إِذَا
- ज्योहीं
- mā
- مَا
- ज्योहीं
- waqaʿa
- وَقَعَ
- वो वाक़ेअ होगा
- āmantum
- ءَامَنتُم
- ईमान लाओगे तुम (तब)
- bihi
- بِهِۦٓۚ
- उस पर
- āl'āna
- ءَآلْـَٰٔنَ
- क्या अब
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- kuntum
- كُنتُم
- थे तुम
- bihi
- بِهِۦ
- उसी को
- tastaʿjilūna
- تَسْتَعْجِلُونَ
- तुम जल्दी तलब किया करते
क्या फिर जब वह घटित हो जाएगी तब तुम उसे मानोगे? - क्या अब! इसी के लिए तो तुम जल्दी मचा रहे थे!' ([१०] युनुस: 51)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ قِيْلَ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا ذُوْقُوْا عَذَابَ الْخُلْدِۚ هَلْ تُجْزَوْنَ اِلَّا بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ٥٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाएगा
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- dhūqū
- ذُوقُوا۟
- चखो
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब
- l-khul'di
- ٱلْخُلْدِ
- हमेशगी का
- hal
- هَلْ
- नहीं
- tuj'zawna
- تُجْزَوْنَ
- तुम बदला दिए जा रहे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bimā
- بِمَا
- उसका जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taksibūna
- تَكْسِبُونَ
- तुम कमाई करते
'फिर अत्याचारी लोगों से कहा जाएगा, 'स्थायी यातना का मज़ा चख़ो! जो कुछ तुम कमाते रहे हो, उसके सिवा तुम्हें और क्या बदला दिया जा सकता है?' ([१०] युनुस: 52)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْتَنْۢبِـُٔوْنَكَ اَحَقٌّ هُوَ ۗ قُلْ اِيْ وَرَبِّيْٓ اِنَّهٗ لَحَقٌّ ۗوَمَآ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِيْنَ ࣖ ٥٣
- wayastanbiūnaka
- وَيَسْتَنۢبِـُٔونَكَ
- और वो पूछते हैं आपसे
- aḥaqqun
- أَحَقٌّ
- क्या सच है
- huwa
- هُوَۖ
- वो
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ī
- إِى
- हाँ
- warabbī
- وَرَبِّىٓ
- क़सम है मेरे रब की
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- laḥaqqun
- لَحَقٌّۖ
- यक़ीनन हक़ है
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- antum
- أَنتُم
- तुम
- bimuʿ'jizīna
- بِمُعْجِزِينَ
- आजिज़ करने वाले
वे तुम से चाहते है कि उन्हें ख़बर दो कि 'क्या वह वास्तव में सत्य है?' कह दो, 'हाँ, मेरे रब की क़सम! वह बिल्कुल सत्य है और तुम क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले नहीं हो।' ([१०] युनुस: 53)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ اَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍ ظَلَمَتْ مَا فِى الْاَرْضِ لَافْتَدَتْ بِهٖۗ وَاَسَرُّوا النَّدَامَةَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَۚ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ٥٤
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- anna
- أَنَّ
- बेशक हो
- likulli
- لِكُلِّ
- हर नफ़्स के लिए
- nafsin
- نَفْسٍ
- हर नफ़्स के लिए
- ẓalamat
- ظَلَمَتْ
- जिसने ज़ुल्म किया
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- la-if'tadat
- لَٱفْتَدَتْ
- अलबत्ता वो फ़िदया दे दे
- bihi
- بِهِۦۗ
- उसका
- wa-asarrū
- وَأَسَرُّوا۟
- और वो छुपाऐंगे
- l-nadāmata
- ٱلنَّدَامَةَ
- नदामत को
- lammā
- لَمَّا
- जब
- ra-awū
- رَأَوُا۟
- वो देखेंगे
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَۖ
- अज़ाब
- waquḍiya
- وَقُضِىَ
- और फ़ैसला कर दिया जाएगा
- baynahum
- بَيْنَهُم
- दर्मियान उनके
- bil-qis'ṭi
- بِٱلْقِسْطِۚ
- साथ इन्साफ़ के
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
- yuẓ'lamūna
- يُظْلَمُونَ
- ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
यदि प्रत्येक अत्याचारी व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो जो धरती में है, तो वह अर्थदंड के रूप में उसे दे डाले। जब वे यातना को देखेंगे तो मन ही मन में पछताएँगे। उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार न होगा ([१०] युनुस: 54)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَآ اِنَّ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اَلَآ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٥٥
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह ही के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۗ
- और ज़मीन में है
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- waʿda
- وَعْدَ
- वादा
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ḥaqqun
- حَقٌّ
- सच्चा है
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
सुन लो, जो कुछ आकाशों और धरती में है, अल्लाह ही का है। जान लो, निस्संदेह अल्लाह का वादा सच्चा है, किन्तु उनमें अधिकतर लोग जानते नहीं ([१०] युनुस: 55)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ يُحْيٖ وَيُمِيْتُ وَاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٥٦
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- yuḥ'yī
- يُحْىِۦ
- वो ज़िन्दा करता है
- wayumītu
- وَيُمِيتُ
- और वो मौत देता है
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसी के
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
वही जिलाता है और मारता है और उसी की ओर तुम लौटाए जा रहे हो ([१०] युनुस: 56)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاۤءَتْكُمْ مَّوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَشِفَاۤءٌ لِّمَا فِى الصُّدُوْرِۙ وَهُدًى وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِيْنَ ٥٧
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- ऐ लोगो
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāatkum
- جَآءَتْكُم
- आ चुकी तुम्हारे पास
- mawʿiẓatun
- مَّوْعِظَةٌ
- एक नसीहत
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- washifāon
- وَشِفَآءٌ
- और शिफ़ा
- limā
- لِّمَا
- उसके लिए जो
- fī
- فِى
- सीनों में है
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों में है
- wahudan
- وَهُدًى
- और हिदायत
- waraḥmatun
- وَرَحْمَةٌ
- और रहमत
- lil'mu'minīna
- لِّلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों के लिए
ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से उपदेश औऱ जो कुछ सीनों में (रोग) है, उसके लिए रोगमुक्ति और मोमिनों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता आ चुकी है ([१०] युनुस: 57)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ بِفَضْلِ اللّٰهِ وَبِرَحْمَتِهٖ فَبِذٰلِكَ فَلْيَفْرَحُوْاۗ هُوَ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُوْنَ ٥٨
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- bifaḍli
- بِفَضْلِ
- साथ अल्लाह के फ़ज़ल के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- साथ अल्लाह के फ़ज़ल के
- wabiraḥmatihi
- وَبِرَحْمَتِهِۦ
- और उसकी रहमत के
- fabidhālika
- فَبِذَٰلِكَ
- तो उस पर
- falyafraḥū
- فَلْيَفْرَحُوا۟
- पस ज़रूर वो ख़ुश हों
- huwa
- هُوَ
- वो
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- yajmaʿūna
- يَجْمَعُونَ
- वो जमा करते हैं
कह दो, 'यह अल्लाह के अनुग्रह और उसकी दया से है, अतः इस पर प्रसन्न होना चाहिए। यह उन सब चीज़ों से उत्तम है, जिनको वे इकट्ठा करने में लगे हुए है।' ([१०] युनुस: 58)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَرَءَيْتُمْ مَّآ اَنْزَلَ اللّٰهُ لَكُمْ مِّنْ رِّزْقٍ فَجَعَلْتُمْ مِّنْهُ حَرَامًا وَّحَلٰلًا ۗ قُلْ اٰۤللّٰهُ اَذِنَ لَكُمْ اَمْ عَلَى اللّٰهِ تَفْتَرُوْنَ ٥٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ara-aytum
- أَرَءَيْتُم
- क्या ग़ौर किया तुमने
- mā
- مَّآ
- जो
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- रिज़्क़ में से
- riz'qin
- رِّزْقٍ
- रिज़्क़ में से
- fajaʿaltum
- فَجَعَلْتُم
- तो बना लिया तुमने
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसमें से
- ḥarāman
- حَرَامًا
- कुछ हराम
- waḥalālan
- وَحَلَٰلًا
- और कुछ हलाल
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- āllahu
- ءَآللَّهُ
- क्या अल्लाह ने
- adhina
- أَذِنَ
- इजाज़त दी है
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- am
- أَمْ
- या
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- taftarūna
- تَفْتَرُونَ
- तुम झूठ गढ़ते हो
कह दो, 'क्या तुम लोगों ने यह भी देखा कि जो रोज़ी अल्लाह ने तुम्हारे लिए उतारी है उसमें से तुमने स्वयं ही कुछ को हराम और हलाल ठहरा लिया?' कहो, 'क्या अल्लाह ने तुम्हें इसकी अनुमति दी है या तुम अल्लाह पर झूठ घड़कर थोप रहे हो?' ([१०] युनुस: 59)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا ظَنُّ الَّذِيْنَ يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَى النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَشْكُرُوْنَ ࣖ ٦٠
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- ẓannu
- ظَنُّ
- गुमान
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनका जो
- yaftarūna
- يَفْتَرُونَ
- गढ़ते हैं
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَ
- झूठ
- yawma
- يَوْمَ
- क़यामत के दिन में
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۗ
- क़यामत के दिन में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ladhū
- لَذُو
- अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
- faḍlin
- فَضْلٍ
- अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
- ʿalā
- عَلَى
- लोगों पर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों पर
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- अक्सर उनके
- lā
- لَا
- नहीं वो शुक्र करते
- yashkurūna
- يَشْكُرُونَ
- नहीं वो शुक्र करते
जो लोग झूठ घड़कर उसे अल्लाह पर थोंपते है, उन्होंने क़ियामत के दिन के विषय में क्या समझ रखा है? अल्लाह तो लोगों के लिए बड़ा अनुग्रहवाला है, किन्तु उनमें अधिकतर कृतज्ञता नहीं दिखलाते ([१०] युनुस: 60)Tafseer (तफ़सीर )