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सूरा युनुस - Page: 4

Yunus

(यूनुस)

३१

قُلْ مَنْ يَّرْزُقُكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِ اَمَّنْ يَّمْلِكُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَمَنْ يُّخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَيُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ وَمَنْ يُّدَبِّرُ الْاَمْرَۗ فَسَيَقُوْلُوْنَ اللّٰهُ ۚفَقُلْ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ٣١

qul
قُلْ
कह दीजिए
man
مَن
कौन
yarzuqukum
يَرْزُقُكُم
रिज़्क़ देता है तुम्हें
mina
مِّنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन से
amman
أَمَّن
या कौन
yamliku
يَمْلِكُ
मालिक हो सकता है
l-samʿa
ٱلسَّمْعَ
कानों
wal-abṣāra
وَٱلْأَبْصَٰرَ
और आँखों का
waman
وَمَن
और कौन
yukh'riju
يُخْرِجُ
निकालता है
l-ḥaya
ٱلْحَىَّ
ज़िन्दा को
mina
مِنَ
मुर्दा से
l-mayiti
ٱلْمَيِّتِ
मुर्दा से
wayukh'riju
وَيُخْرِجُ
और निकालता है
l-mayita
ٱلْمَيِّتَ
मुर्दा को
mina
مِنَ
ज़िन्दा से
l-ḥayi
ٱلْحَىِّ
ज़िन्दा से
waman
وَمَن
और कौन
yudabbiru
يُدَبِّرُ
तदबीर करता है
l-amra
ٱلْأَمْرَۚ
काम की
fasayaqūlūna
فَسَيَقُولُونَ
तो वो ज़रूर कहेंगे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
faqul
فَقُلْ
तो कह दीजिए
afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
कहो, 'तुम्हें आकाश और धरती से रोज़ी कौन देता है, या ये कान और आँखें किसके अधिकार में है और कौन जीवन्त को निर्जीव से निकालता है और निर्जीव को जीवन्त से निकालता है और कौन यह सारा इन्तिज़ाम चला रहा है?' इसपर वे बोल पड़ेगे, 'अल्लाह!' तो कहो, 'फिर आख़िर तुम क्यों नहीं डर रखते?' ([१०] युनुस: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

فَذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمُ الْحَقُّۚ فَمَاذَا بَعْدَ الْحَقِّ اِلَّا الضَّلٰلُ ۖفَاَنّٰى تُصْرَفُوْنَ ٣٢

fadhālikumu
فَذَٰلِكُمُ
पस ये है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
rabbukumu
رَبُّكُمُ
रब तुम्हारा
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۖ
सच्चा
famādhā
فَمَاذَا
तो क्या कुछ है
baʿda
بَعْدَ
बाद
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ के
illā
إِلَّا
सिवाय
l-ḍalālu
ٱلضَّلَٰلُۖ
गुमराही के
fa-annā
فَأَنَّىٰ
तो कहाँ/किधर
tuṣ'rafūna
تُصْرَفُونَ
तुम फेरे जाते हो
फिर यही अल्लाह तो है तुम्हारा वास्तविक रब। फिर आख़िर सत्य के पश्चात पथभ्रष्टता के अतिरिक्त और क्या रह जाता है? फिर तुम कहाँ से फिरे जाते हो? ([१०] युनुस: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

كَذٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى الَّذِيْنَ فَسَقُوْٓا اَنَّهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ٣٣

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
ḥaqqat
حَقَّتْ
हक़ हो गई
kalimatu
كَلِمَتُ
बात
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब की
ʿalā
عَلَى
उन पर जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जिन्होंने
fasaqū
فَسَقُوٓا۟
नाफ़रमानी की
annahum
أَنَّهُمْ
बेशक वो
لَا
नहीं वो ईमान लाऐंगे
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाऐंगे
इसी तरह अवज्ञाकारी लोगों के प्रति तुम्हारे रब की बात सच्ची होकर रही कि वे मानेंगे नहीं ([१०] युनुस: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَاۤىِٕكُمْ مَّنْ يَّبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗۗ قُلِ اللّٰهُ يَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيْدُهٗ فَاَنّٰى تُؤْفَكُوْنَ ٣٤

qul
قُلْ
कह दीजिए
hal
هَلْ
क्या है
min
مِن
तुम्हारे शरीकों में से कोई
shurakāikum
شُرَكَآئِكُم
तुम्हारे शरीकों में से कोई
man
مَّن
जो
yabda-u
يَبْدَؤُا۟
इब्तिदा करता हो
l-khalqa
ٱلْخَلْقَ
तख़लीक़ की
thumma
ثُمَّ
फिर
yuʿīduhu
يُعِيدُهُۥۚ
वो लौटाता हो उसे
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yabda-u
يَبْدَؤُا۟
वो इब्तिदा करता है
l-khalqa
ٱلْخَلْقَ
तख़लीक़ की
thumma
ثُمَّ
फिर
yuʿīduhu
يُعِيدُهُۥۖ
वो ही लौटाएगा उसे
fa-annā
فَأَنَّىٰ
तो कहाँ/किधर
tu'fakūna
تُؤْفَكُونَ
तुम फेरे जाते हो
कहो, 'क्या तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों में कोई है जो सृष्टि का आरम्भ भी करता हो, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करे?' कहो, 'अल्लाह ही सृष्टि का आरम्भ करता है और वही उसकी पुनरावृति भी; आख़िर तुम कहाँ औधे हुए जाते हो?' ([१०] युनुस: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَاۤىِٕكُمْ مَّنْ يَّهْدِيْٓ اِلَى الْحَقِّۗ قُلِ اللّٰهُ يَهْدِيْ لِلْحَقِّۗ اَفَمَنْ يَّهْدِيْٓ اِلَى الْحَقِّ اَحَقُّ اَنْ يُّتَّبَعَ اَمَّنْ لَّا يَهِدِّيْٓ اِلَّآ اَنْ يُّهْدٰىۚ فَمَا لَكُمْۗ كَيْفَ تَحْكُمُوْنَ ٣٥

qul
قُلْ
कह दीजिए
hal
هَلْ
क्या है
min
مِن
तुम्हारे शरीकों में से कोई
shurakāikum
شُرَكَآئِكُم
तुम्हारे शरीकों में से कोई
man
مَّن
जो
yahdī
يَهْدِىٓ
रहनुमाई करता हो
ilā
إِلَى
तरफ़ हक़ के
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّۚ
तरफ़ हक़ के
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yahdī
يَهْدِى
वो रहनुमाई करता है
lil'ḥaqqi
لِلْحَقِّۗ
तरफ़ हक़ के
afaman
أَفَمَن
क्या भला जो
yahdī
يَهْدِىٓ
रहनुमाई करता है
ilā
إِلَى
तरफ़ हक़ के
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
तरफ़ हक़ के
aḥaqqu
أَحَقُّ
ज़्यादा हक़दार है
an
أَن
कि
yuttabaʿa
يُتَّبَعَ
वो पैरवी किया जाए
amman
أَمَّن
या जो
لَّا
नही वो राह पाता
yahiddī
يَهِدِّىٓ
नही वो राह पाता
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yuh'dā
يُهْدَىٰۖ
वो रहनुमाई किया जाए
famā
فَمَا
तो क्या है
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
kayfa
كَيْفَ
कैसे
taḥkumūna
تَحْكُمُونَ
तुम फ़ैसले करते हो
कहो, 'क्या तुम्हारे ठहराए साझीदारों में कोई है जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे?' कहो, 'अल्लाह ही सत्य के मार्ग पर चलाता है। फिर जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करता हो, वह इसका ज़्यादा हक़दार है कि उसका अनुसरण किया जाए या वह जो स्वयं ही मार्ग न पाए जब तक कि उसे मार्ग न दिखाया जाए? फिर यह तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसे फ़ैसले कर रहे हो?' ([१०] युनुस: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَمَا يَتَّبِعُ اَكْثَرُهُمْ اِلَّا ظَنًّاۗ اِنَّ الظَّنَّ لَا يُغْنِيْ مِنَ الْحَقِّ شَيْـًٔاۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ ۢبِمَا يَفْعَلُوْنَ ٣٦

wamā
وَمَا
और नहीं
yattabiʿu
يَتَّبِعُ
पैरवी करते
aktharuhum
أَكْثَرُهُمْ
अक्सर उनके
illā
إِلَّا
मगर
ẓannan
ظَنًّاۚ
गुमान की
inna
إِنَّ
बेशक
l-ẓana
ٱلظَّنَّ
गुमान
لَا
नहीं काम आता
yugh'nī
يُغْنِى
नहीं काम आता
mina
مِنَ
हक़ के मुक़ाबले में
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ के मुक़ाबले में
shayan
شَيْـًٔاۚ
कुछ भी
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bimā
بِمَا
उसे जो
yafʿalūna
يَفْعَلُونَ
वो कर रहे हैं
और उनमें से अधिकतर तो बस अटकल पर चलते है। निश्चय ही अटकल सत्य को कुछ भी दूर नहीं कर सकती। वे जो कुछ कर रहे हैं अल्लाह उसको भली-भाँति जानता है ([१०] युनुस: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَمَا كَانَ هٰذَا الْقُرْاٰنُ اَنْ يُّفْتَرٰى مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلٰكِنْ تَصْدِيْقَ الَّذِيْ بَيْنَ يَدَيْهِ وَتَفْصِيْلَ الْكِتٰبِ لَا رَيْبَ فِيْهِ مِنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَۗ ٣٧

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
hādhā
هَٰذَا
ये
l-qur'ānu
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
an
أَن
कि
yuf'tarā
يُفْتَرَىٰ
वो गढ़ लिया जाए
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
taṣdīqa
تَصْدِيقَ
तस्दीक़ है
alladhī
ٱلَّذِى
उस चीज़ की जो
bayna
بَيْنَ
उससे पहले है
yadayhi
يَدَيْهِ
उससे पहले है
watafṣīla
وَتَفْصِيلَ
और तफ़सील है
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब की
لَا
नहीं कोई शक
rayba
رَيْبَ
नहीं कोई शक
fīhi
فِيهِ
उसमें
min
مِن
रब की तरफ़ से है
rabbi
رَّبِّ
रब की तरफ़ से है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों के
यह क़ुरआन ऐसा नहीं है कि अल्लाह से हटकर घड लिया जाए, बल्कि यह तो जिसके समझ है, उसकी पुष्टि में है और किताब का विस्तार है, जिसमें किसी संदेह की गुंजाइश नहीं। यह सारे संसार के रब की ओर से है ([१०] युनुस: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

اَمْ يَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۗ قُلْ فَأْتُوْا بِسُوْرَةٍ مِّثْلِهٖ وَادْعُوْا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٣٨

am
أَمْ
या
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
if'tarāhu
ٱفْتَرَىٰهُۖ
उसने गढ़ लिया है उसे
qul
قُلْ
कह दीजिए
fatū
فَأْتُوا۟
पस ले आओ
bisūratin
بِسُورَةٍ
एक सूरत
mith'lihi
مِّثْلِهِۦ
इस जैसी
wa-id'ʿū
وَٱدْعُوا۟
और बुला लो
mani
مَنِ
जिन्हें
is'taṭaʿtum
ٱسْتَطَعْتُم
इस्तिताअत रखते हो तुम
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
(क्या उन्हें कोई खटक है) या वे कहते है, 'इस व्यक्ति (पैग़म्बर) ने उसे स्वयं ही घड़ लिया है?' कहो, 'यदि तुम सच्चे हो, तो इस जैसी एक सुरा ले आओ और अल्लाह से हटकर उसे बुला लो, जिसपर तुम्हारा बस चले।' ([१०] युनुस: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

بَلْ كَذَّبُوْا بِمَا لَمْ يُحِيْطُوْا بِعِلْمِهٖ وَلَمَّا يَأْتِهِمْ تَأْوِيْلُهٗۗ كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظّٰلِمِيْنَ ٣٩

bal
بَلْ
बल्कि
kadhabū
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठलाया
bimā
بِمَا
उसे जो
lam
لَمْ
नहीं
yuḥīṭū
يُحِيطُوا۟
उन्होंने अहाता किया
biʿil'mihi
بِعِلْمِهِۦ
जिसके इल्म का
walammā
وَلَمَّا
हालाँकि नहीं
yatihim
يَأْتِهِمْ
आई उनके पास
tawīluhu
تَأْوِيلُهُۥۚ
तावील/हक़ीक़त उसकी
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۖ
उनसे पहले थे
fa-unẓur
فَٱنظُرْ
तो देखो
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों का
बल्कि बात यह है कि जिस चीज़ के ज्ञान पर वे हावी न हो सके, उसे उन्होंने झुठला दिया और अभी उसका परिणाम उनके सामने नहीं आया। इसी प्रकार उन लोगों ने भी झुठलाया था, जो इनसे पहले थे। फिर देख लो उन अत्याचारियों का कैसा परिणाम हुआ! ([१०] युनुस: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

وَمِنْهُمْ مَّنْ يُّؤْمِنُ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ لَّا يُؤْمِنُ بِهٖۗ وَرَبُّكَ اَعْلَمُ بِالْمُفْسِدِيْنَ ࣖ ٤٠

wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान लाता है
bihi
بِهِۦ
उस पर
wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
لَّا
नहीं वो ईमान लाता
yu'minu
يُؤْمِنُ
नहीं वो ईमान लाता
bihi
بِهِۦۚ
उस पर
warabbuka
وَرَبُّكَ
और रब आपका
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
bil-muf'sidīna
بِٱلْمُفْسِدِينَ
फ़साद करने वालों को
उनमें कुछ लोग उसपर ईमान रखनेवाले है और उनमें कुछ लोग उसपर ईमान लानेवाले नहीं है। और तुम्हारा रब बिगाड़ पैदा करनेवालों को भली-भाँति जानता है ([१०] युनुस: 40)
Tafseer (तफ़सीर )