قُلِ انْظُرُوْا مَاذَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۗوَمَا تُغْنِى الْاٰيٰتُ وَالنُّذُرُ عَنْ قَوْمٍ لَّا يُؤْمِنُوْنَ ١٠١
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- unẓurū
- ٱنظُرُوا۟
- देखो
- mādhā
- مَاذَا
- क्या कुछ है
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- tugh'nī
- تُغْنِى
- फ़ायदा देतीं
- l-āyātu
- ٱلْءَايَٰتُ
- आयात
- wal-nudhuru
- وَٱلنُّذُرُ
- और डरावे
- ʿan
- عَن
- उन लोगों को जो
- qawmin
- قَوْمٍ
- उन लोगों को जो
- lā
- لَّا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
कहो, 'देख लो, आकाशों और धरती में क्या कुछ है!' किन्तु निशानियाँ और चेतावनियाँ उन लोगों के कुछ काम नहीं आती, जो ईमान न लाना चाहें ([१०] युनुस: 101)Tafseer (तफ़सीर )
فَهَلْ يَنْتَظِرُوْنَ اِلَّا مِثْلَ اَيَّامِ الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلِهِمْۗ قُلْ فَانْتَظِرُوْٓا اِنِّيْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِيْنَ ١٠٢
- fahal
- فَهَلْ
- तो नहीं
- yantaẓirūna
- يَنتَظِرُونَ
- वो इन्तिज़ार कर रहे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mith'la
- مِثْلَ
- मानिन्द
- ayyāmi
- أَيَّامِ
- दिनों के
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों के जो
- khalaw
- خَلَوْا۟
- गुज़र चुके हैं
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِمْۚ
- उनसे पहले
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- fa-intaẓirū
- فَٱنتَظِرُوٓا۟
- पस इन्तिज़ार करो
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- maʿakum
- مَعَكُم
- साथ तुम्हारे
- mina
- مِّنَ
- इन्तिज़ार करने वालों में से हूँ
- l-muntaẓirīna
- ٱلْمُنتَظِرِينَ
- इन्तिज़ार करने वालों में से हूँ
अतः वे तो उस तरह के दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिस तरह के दिन वे लोग देख चुके है जो उनसे पहले गुज़रे है। कह दो, 'अच्छा, प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।' ([१०] युनुस: 102)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ نُنَجِّيْ رُسُلَنَا وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كَذٰلِكَ ۚحَقًّا عَلَيْنَا نُنْجِ الْمُؤْمِنِيْنَ ࣖ ١٠٣
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- nunajjī
- نُنَجِّى
- हम निजात देते हैं
- rusulanā
- رُسُلَنَا
- अपने रसूलों को
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟ۚ
- ईमान लाए
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- ḥaqqan
- حَقًّا
- हक़ है
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- nunji
- نُنجِ
- कि हम निजात दें
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
फिर हम अपने रसूलों और उन लोगों को बचा लेते रहे हैं, जो ईमान ले आए। ऐसी ही हमारी रीति है, हमपर यह हक़ है कि ईमानवालों को बचा लें ([१०] युनुस: 103)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ اِنْ كُنْتُمْ فِيْ شَكٍّ مِّنْ دِيْنِيْ فَلَآ اَعْبُدُ الَّذِيْنَ تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلٰكِنْ اَعْبُدُ اللّٰهَ الَّذِيْ يَتَوَفّٰىكُمْ ۖ وَاُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٠٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- ऐ लोगो
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- fī
- فِى
- किसी शक में
- shakkin
- شَكٍّ
- किसी शक में
- min
- مِّن
- मेरे दीन से
- dīnī
- دِينِى
- मेरे दीन से
- falā
- فَلَآ
- पस नहीं
- aʿbudu
- أَعْبُدُ
- मैं इबादत करता
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिनकी
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम इबादत करते हो
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- walākin
- وَلَٰكِنْ
- और लेकिन
- aʿbudu
- أَعْبُدُ
- मैं इबादत करता हूँ
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- yatawaffākum
- يَتَوَفَّىٰكُمْۖ
- फ़ौत करता है तुम्हें
- wa-umir'tu
- وَأُمِرْتُ
- और हुक्म दिया गया हूँ मैं
- an
- أَنْ
- कि
- akūna
- أَكُونَ
- मैं हो जाऊँ
- mina
- مِنَ
- ईमान लाने वालों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों में से
कह दो, 'ऐ लोगों! यदि तुम मेरे धर्म के विषय में किसी सन्देह में हो तो मैं तो उनकी बन्दगी नहीं करता जिनकी तुम अल्लाह से हटकर बन्दगी करते हो, बल्कि मैं उस अल्लाह की बन्दगी करता हूँ जो तुम्हें मृत्यु देता है। और मुझे आदेश है कि मैं ईमानवालों में से होऊँ ([१०] युनुस: 104)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَنْ اَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّيْنِ حَنِيْفًاۚ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ١٠٥
- wa-an
- وَأَنْ
- और ये कि
- aqim
- أَقِمْ
- क़ायम रखिए
- wajhaka
- وَجْهَكَ
- चेहरा अपना
- lilddīni
- لِلدِّينِ
- दीन के लिए
- ḥanīfan
- حَنِيفًا
- यकसू होकर
- walā
- وَلَا
- और हरगिज़ ना आप हों
- takūnanna
- تَكُونَنَّ
- और हरगिज़ ना आप हों
- mina
- مِنَ
- मुशरिकों में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकों में से
और यह कि हर ओर से एकाग्र होकर अपना रुख़ इस धर्म की ओर कर लो और मुशरिक़ों में कदापि सम्मिलित न हो, ([१०] युनुस: 105)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَدْعُ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَنْفَعُكَ وَلَا يَضُرُّكَ ۚفَاِنْ فَعَلْتَ فَاِنَّكَ اِذًا مِّنَ الظّٰلِمِيْنَ ١٠٦
- walā
- وَلَا
- और ना
- tadʿu
- تَدْعُ
- आप पुकारिए
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- mā
- مَا
- उसे जो
- lā
- لَا
- ना वो फ़ायदा दे सकता है आपको
- yanfaʿuka
- يَنفَعُكَ
- ना वो फ़ायदा दे सकता है आपको
- walā
- وَلَا
- और ना
- yaḍurruka
- يَضُرُّكَۖ
- वो नुक़सान दे सकता है आपको
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- faʿalta
- فَعَلْتَ
- किया आपने (ऐसा)
- fa-innaka
- فَإِنَّكَ
- तो बेशक आप
- idhan
- إِذًا
- उस वक़्त
- mina
- مِّنَ
- ज़ालिमों में से होंगे
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों में से होंगे
और अल्लाह से हटकर उसे न पुकारो जो न तुम्हें लाभ पहुँचाए और न तुम्हें हानि पहुँचा सके और न तुम्हारा बुरा कर सके, क्योंकि यदि तुमने ऐसा किया तो उस समय तुम अत्याचारी होगे ([१०] युनुस: 106)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ يَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهٗ ٓاِلَّا هُوَ ۚوَاِنْ يُّرِدْكَ بِخَيْرٍ فَلَا رَاۤدَّ لِفَضْلِهٖۗ يُصِيْبُ بِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۗوَهُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ ١٠٧
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yamsaska
- يَمْسَسْكَ
- पहुँचाए आपको
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- biḍurrin
- بِضُرٍّ
- कोई तकलीफ़
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- kāshifa
- كَاشِفَ
- कोई हटाने वाला
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yurid'ka
- يُرِدْكَ
- वो इरादा करे आपके साथ
- bikhayrin
- بِخَيْرٍ
- किसी भलाई का
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- rādda
- رَآدَّ
- कोई फेरने वाला
- lifaḍlihi
- لِفَضْلِهِۦۚ
- उसके फ़ज़ल को
- yuṣību
- يُصِيبُ
- वो पहुँचाता है
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۚ
- अपने बन्दों में से
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ghafūru
- ٱلْغَفُورُ
- बहुत बख़्शने वाला है
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला है
यदि अल्लाह तुम्हें किसी तकलीफ़ में डाल दे तो उसके सिवा कोई उसे दूर करनेवाला नहीं। और यदि वह तुम्हारे लिए किसी भलाई का इरादा कर ले तो कोई उसके अनुग्रह को फेरनेवाला भी नहीं। वह इसे अपने बन्दों में से जिस तक चाहता है, पहुँचाता है और वह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।' ([१०] युनुस: 107)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاۤءَكُمُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكُمْ ۚفَمَنِ اهْتَدٰى فَاِنَّمَا يَهْتَدِيْ لِنَفْسِهٖ ۚوَمَنْ ضَلَّ فَاِنَّمَا يَضِلُّ عَلَيْهَا ۚوَمَآ اَنَا۠ عَلَيْكُمْ بِوَكِيْلٍۗ ١٠٨
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- ऐ लोगो
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakumu
- جَآءَكُمُ
- आ चुका तुम्हारे पास
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़
- min
- مِن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْۖ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- famani
- فَمَنِ
- तो जिसने
- ih'tadā
- ٱهْتَدَىٰ
- हिदायत पाई
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yahtadī
- يَهْتَدِى
- वो हिदायत पाएगा
- linafsihi
- لِنَفْسِهِۦۖ
- अपने नफ़्स के लिए
- waman
- وَمَن
- और जो
- ḍalla
- ضَلَّ
- गुमराह हुआ
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yaḍillu
- يَضِلُّ
- वो गुमराह होगा
- ʿalayhā
- عَلَيْهَاۖ
- अपने (नफ़्स) पर
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- biwakīlin
- بِوَكِيلٍ
- कोई ज़िम्मेदार
कह दो, 'ऐ लोगों! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से सत्य आ चुका है। अब जो कोई मार्ग पर आएगा, तो वह अपने ही लिए मार्ग पर आएगा, और जो कोई पथभ्रष्ट होगा तो वह अपने ही बुरे के लिए पथभ्रष्टि होगा। मैं तुम्हारे ऊपर कोई हवालेदार तो हूँ नहीं।' ([१०] युनुस: 108)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّبِعْ مَا يُوْحٰىٓ اِلَيْكَ وَاصْبِرْ حَتّٰى يَحْكُمَ اللّٰهُ ۚوَهُوَ خَيْرُ الْحٰكِمِيْنَ ࣖ ١٠٩
- wa-ittabiʿ
- وَٱتَّبِعْ
- और पैरवी कीजिए
- mā
- مَا
- उसकी जो
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती है
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- wa-iṣ'bir
- وَٱصْبِرْ
- और सब्र कीजिए
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yaḥkuma
- يَحْكُمَ
- फ़ैसला कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतर है
- l-ḥākimīna
- ٱلْحَٰكِمِينَ
- सब फ़ैसला करने वालों से
जो कुछ तुमपर प्रकाशना की जा रही है, उसका अनुसरण करो और धैर्य से काम लो, यहाँ तक कि अल्लाह फ़ैसला कर दे, और वह सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है ([१०] युनुस: 109)Tafseer (तफ़सीर )